भारत के उत्तर में स्थित यह राज्य चतुर्भुज के आकार का है, जिसकी चौड़ाई (पूर्व से पश्चिम) 463 कि0मी0 एवं लम्बाई (उत्तर से दक्षिण) 380 कि0मी0 है. झारखण्ड राज्य का कुल क्षेत्रफल 79,714 वर्ग कि0मी0 है, जो कि सम्पूर्ण भारत के क्षेत्रफल का 2.42 % हिस्सा है. सीमावर्ती राज्य उत्तर में बिहार, दक्षिण में ओडिशा, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश है.
वहीं, झारखंड की मिट्टी और भौगोलिक स्थिति की अगर बात करें, तो यह बागवानी के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. राज्य में उपरी जमीन काफी मात्रा में हैं. जहां पर साग-सब्जी की खेती करने से बेहतर उपज नहीं किया जा सकता. इसलिए राज्य में बागावनी को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
जिसके तहत अब झारखंड के किसानों को बागवानी खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. राज्य सरकार किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं के बेहतर बनाने और बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रही है. योजनाओं के माध्यम से सभी किसानों को बागवानी के लिए उपयुक्त जानकारियां दीं जाएंगी, ताकि किसान सही ढंग से बागवानी कर पाएं. किसानों की आय दुगुनी करने का लक्ष्य
इस योजना के पीछे सरकार का उद्देश्य बागवानी फसलों के बहुआयामी विकास और किसानों की आय में वृद्धि करना है. इसका उद्देश्य बागवानी फसलों के लिए जलवायु, मिट्टी और अनुकूल पारिस्थितिकी का लाभ उठाते हुए राज्य के लोगों को लाभ पहुंचाना है, ताकि इसका मुनाफा वहां के किसानों को मिल सके.
सरकार की मनसा यह है कि इस योजना से राज्य के युवाओं, किसानों और महिलाओं को जोड़ा जाए और उन्हें लाभ पहुंचाया जाए. झारखण्ड सरकार हर संभव कोशिश करने में लगी हुई है की किसी तरह राज्य के युवा, महिला और पुरुषों को इस योजना से जोड़कर इसका अधिक से अधिक लाभ सभी तक पहुँचाया जाए.
वैकल्पिक खेती पर दिया जाएगा अधिक ध्यान
राज्य सरकार बागवानी फसलों के चौतरफे विकास के साथ-साथ किसानों की आय दुगुनी करने के लिए भी इस योजना पर काम कर रही है. कृषि निदेशक निशा उरांव के मुताबिक किसानों की आय बढ़ाने के लिए किसानों को वैकल्पिक खेती पर ध्यान देना होगा. जो किसान सब्जी की खेती करते हैं, अगर वो किसान फूल की खेती या आर्गेनिक फर्मिग से जुड़ते हैं, तो उन्हें अतिरक्त आय प्राप्त होगी.
किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
साथ ही निशा उरांव ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में उद्यानिकी फसलों के बहुमुखी विकास के लिए पंचायत स्तर पर ‘बगवान मित्र’ तथा प्रखंड में ‘उद्यान मित्र’ किसानों के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इस प्रशिक्षण के दौरान इन लोगों को बागवानी फसलों की खेती के लिए तकनीकी विधियों में प्रशिक्षित किया जाएगा. प्रशिक्षण के दौरान, राज्य सरकार प्रशिक्षुओं को भत्ता देगी और प्रशिक्षुओं के भोजन, आवागमन और ठहरने की व्यवस्था करेगी. साथ ही प्रशिक्षण पूरा करने वाले प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा.
शहरी युवाओं को भी मिलेगा ट्रेनिंग
इस योजना के तहत शहरी युवाओं के लिए एक समर्पित प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना बनाई गई है. इससे शहरी क्षेत्रों में बागवानी और बागवानी फसल उत्पादन में शहरी युवा कौशल विकास के माध्यम से सौंदर्यीकरण को बढ़ावा मिलेगा. यह प्रशिक्षण झारखंड सरकार और भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे चिन्हित महत्व के संस्थानों के सहयोग से आयोजित किया जाएगा. यह प्रशिक्षण कुल 25 दिनों तक चलेगा.
बढ़ती मांग को देखते हुए होगी खेती
राज्य सरकार मिर्च और अन्य मसालों की खेती को बढ़ावा देने की योजना बना रही है, जिनकी बाजार में काफी मांग है. योजना के खाके के अनुसार, शुरू में झारखंड के विभिन्न जिलों में 1330 हेक्टेयर भूमि को मिर्च की खेती के लिए बढ़ावा दिया जाएगा. साथ ही मशरूम की खेती में नई तकनीकों को शामिल करने के बारे में किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा.
फूल की खेती को दिया जाएगा बढ़ावा
सरकार किसानों को फूलों की खेती और पपीता उत्पादन के लिए लम्बे समय से प्रेरित करने के प्रयास कर रही है. प्रारंभ में राज्य में 1000 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में लगभग 8 लाख पपीते के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. किसानों को पौधरोपण के लिए पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे.