भारत में आज भी सभ्यता और संस्कृति का अपना महत्व है. हम भले ही कितनी भी ऊंचाइयों पर क्यों ना पहुँच जाए, लेकिन संस्कृति में हमारा विश्वास और भरोशा आज भी उतना ही है. तभी तो कोई भी शुभ काम करने से पहले या करने के बाद चारों धाम की यात्रा करना पसंद किया जाता है.
ऐसे में भारत के चार पवित्र धामों में से एक उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर है. यहां हर साल जुलाई के महीने में भव्य रथ यात्रा (Rath Yatra) निकाल कर इसका आयोजन किया जाता है.
क्यों निकाली जाती है रथ यात्रा? (Rath Yatra)
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, रथ यात्रा (Rath Yatra) का अलग महत्व है. जैसे हर साल बंगाल में दुर्गा पूजा, बिहार में छठ पूजा का महत्व मनाया जाता है, उसी प्रकार पुरी में हर साल रथ यात्रा निकाली जाती है. हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत बड़ा महत्व है. ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा नें भगवान जगन्नाथ से द्वारका दर्शन यानी द्वारका घूमने की इच्छा जाहिर की, जिसे पूरा करने के लिए भगवान जगन्नाथ ने सुभद्रा को रथ में बैठा कर भ्रमण करवाया, तब से हर साल इस प्रथा को भगवान् जगन्नाथ के भक्त निभाते आ रहे हैं.
इसी दिन भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है. रथ यात्रा को लेकर भी कई सारी ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति इस रथ यात्रा में शामिल होता है, तो उसके सारे कष्ट खत्म हो जाते है. शायद यह भी एक बड़ी वजह है कि लोग देश-विदेश से यहाँ रथ यात्रा में शामिल होने को पहुंचते हैं. ऐसे में आइए रथ यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जानते हैं.
जगन्नाथ यात्रा और उसका महत्व (Importance Of Rath Yatra)
हिंदू धर्म के अनुसार, इस रथ यात्रा के महत्व और रथ यात्रा को देखने लोग ना सिर्फ भारत बल्कि अलग-अलग देशों से भी आते हैं. हिंदू धर्म में जगन्नाथ पुरी को मुक्ति का द्वार भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी इस यात्रा में शामिल होता है, उसके सारे कष्ट सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
रथ खींचने को लेकर भी अलग-अलग धारणाएं हैं. ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति भगवान के रथ को खींचते हैं, उसे 100 यज्ञ करने के फल मिलता है. साथ ही इस यात्रा में शामिल होने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है.