Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 25 June, 2019 1:48 PM IST

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा  वाराणसी के बड़ागाँव ब्लॉक के हरिपुर गाँव में परवल क्षेत्र दिवस-सह-किसान गोष्ठी का आयोजन किया. इस मौके पर डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसन्धान कृषि परिषद्, नई दिल्ली ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया. डॉ. सिंह ने भा.कृ.अनु.प.-आईआईवीआर के वैज्ञानिकों और आस-पास के गाँवों के लगभग 100 सब्जी उत्पादकों के साथ गाँव में संस्थान द्वारा विकसित की गई परवल की किस्मों के प्रदर्शन क्षेत्र का दौरा किया. डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और विशेष रूप से वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर और बलिया में परवल उगाने की बहुत संभावनाए हैं, लेकिन स्थानीय खेती में कम उपज और अधिक रोग के संक्रमण के कारण इस फसल को कम क्षेत्र में उगाया जा रहा है.

डॉ. पी. एम. सिंह, प्रमुख, फसल सुधार विभाग ने कहा कि संस्थान द्वारा 3 आशाजनक किस्मों - काशी अलंकार, काशी सुफल और काशी अमूल्य का विकास और विमोचन करने का निर्देश दिया गया है. डॉ. सिंह ने कहा कि उच्च उपज (औसत उत्पादकता 230 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) और गुणवत्ता के कारण,  इन किस्मों को पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में उत्पादकों द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है.

उन्होंने आगे कहा कि इसकी स्थापना के बाद से संस्थान द्वारा उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों के साथ 27 सब्जी फसलों में लगभग 102 उन्नत किस्में/संकर विकसित किए गए हैं.किसानों ने इस अवसर के दौरान भा.कृ.अनु.प.-आईआईवीआर विकसित प्रौद्योगिकियों के अपने अनुभव और सफलता सफलताओं को भी साझा किया.

तकनीकी सत्र के दौरान, सब्जी की खेती में किसानों की समस्याओं पर चर्चा की गई और वैज्ञानिकों द्वारा शीघ्र समाधान प्रदान किए गए. इस कार्यक्रम में आस-पास के क्षेत्र से किसानों ने हिस्सा लिया. किसानों को इस दौरान परवल की खेती के विषय में पूरी जानकारी दी गयी.हालांकि  डॉ. ए.के. सिंह ने यह अपने वक्तव्य में कहा कि परवल कि खेती को इस क्षेत्र में बढ़ाया जाना आवश्यक है. इस कार्यक्रम  में किसानों को परवल कि नयी प्रजातियों के बारे में भी पता चला.  इस कर्यक्रम में महिला किसानो ने भी हिस्सा लिया.

English Summary: IVRI-ICAR organized a workshop on parval farming in Uttar Pradesh
Published on: 25 June 2019, 01:51 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now