फलों के राजा कहे जाने वाले आम (Mango) का नाता हमारी सभ्यता से शुरू से ही रहा है. अमूमन गर्मी के सीजन में ही आम का उत्पादन होता है. लेकिन अब दिन-प्रतिदिन विज्ञान के बढ़ते कदम की वजह से किसान आम का उत्पादन अब अन्य सीजनों में भी करने लगे हैं. भारत में इस समय 1500 से भी अधिक आम की किस्में (Mango Varieties) पाई जाती हैं. सभी किस्म अपने आप में अच्छा खासा महत्व रखती है. ऐसी ही एक किस्म खोज निकाली है कोटा के एक सफल किसान ने. इन्होंने ऐसी आम प्रजाति (Mango Variety) विकसित की है जिसका साल के तीनों सीजन में उत्पादन होता है.
यानी पूरे साल भर ये प्रजाति फल देती है, इसीलिए इसका नाम रखा गया है 'सदाबहार' कोटा में बागवानी करने वाले गिरधरपुरा गांव के किसान किशन सुमन की बाग से उत्पादित होने वाला सदाबहार आम की कुछ खूबी अल्फांसो आम की तरह हैं. अल्फांसो भारत का सब से खास किस्म का आम है. इसे आम का सरताज कहा जाता है. बस इसी सरताज से मिलती जुलती चीजों जैसा सदाबहार आम है. आम की ये प्रजाति अपने आप में अलग तरीके की है.
गुलाब की खेती से किया परिवर्तन (Changes made by rose cultivation)
किशन सुमन ने 1995 में गुलाब, मोगरा और मयूरपंखी (थूजा) की खेती शुरू की और तीन वर्षों तक फूलों की खेती करते रहे. इसी दौरान उन्होंने गुलाब के ऐसी किस्म को विकसित किया जिसमें एक ही पौधे मं सात रंग के फूल लगते हैं. उनके द्वारा उत्पादित इस किस्म का उन्हें अच्छा रिटर्न मिला. इसके बाद उन्होंने अन्य फसलों पर भी काम करना शुरू किया. सुमन बताते हैं कि "मैंने सोचा है कि अगर मैं गुलाब की किस्म में परिवर्तन कर सकता हूं तो फिर आमों के साथ क्यों नहीं. मैंने विभिन्न किस्मों के आमों को इकठ्ठा किया और उन्हें पोषित किया. जब पौधे पर्याप्त बड़े हो गए, तो मैंने उन्हें रूटस्टॉक पर तैयार किया. इसके बाद फिर काफी हद तक परिवर्तन आया.
2000 में पहचान में आई किस्म (Variety Identified in 2000)
गुलाब किशन को कामयाबी 2000 में मिलती दिखी. उन्होंने अपने बगीचे में एक आम के पेड़ की पहचान की, जो तीन मौसमों में खिल गया था. जनवरी-फरवरी, जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर. उन्होंने पांच पेड़ों को एक प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल किया. इस पेड़ की अच्छी विकास आदत थी और इसमें गहरे हरे पत्ते थे. इन पेड़ों की एक खास बात यह भी थी कि इन पौधों में किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं थी. धीरे-धीरे वे अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध होते गए. हनी बी नेटवर्क के एक स्वयंसेवक सुंदरम वर्मा ने सुमन के नवाचार के बारे में जमीनी तकनीकी नवाचारियों और उत्कृष्ट पारंपरिक ज्ञान के लिए संस्थागत अंतरिक्ष, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) को सूचित किया. इसके बाद एनआईएफ ने सदाबहार पौधे बेचने या उपहार देने के लिए कहा, मैंने उन्हें पौधे दिए. एनआईएफ ने मुझे ये सलाह दी कि अपनी किस्म को सत्यापित कराएं. वे कहते हैं कि उनकी सलाह मानते हुए अपनी किस्म को प्रमाणित करने के लिए मैंने 11 वर्षों तक देश के विभिन्न स्थानों पर जाकर अपनी किस्म के पौधे लगाए. वह कहते है कि एनआईएफ को "मैंने 2012 में 20 पौधों का उपहार दिया था. अब पेड़ फल दे रहा है और जब फल पकता है, त्वचा नारंगी रंग प्राप्त करती है, जबकि अंदरूनी फल गेरुआ रंग का होता है.
इन पुरस्कारों से किया जा चुका है सम्मानित (These awards have been honored)
खास प्रकार की किस्म को विकसित करने वाले किशन सुमन को अब तक कई अवार्ड भी दिए जा चुके हैं. मार्च 2017 में सुमन को 9वीं द्विवार्षिक ग्रासरूट इनोवेशन और राष्ट्रपति भवन में आयोजित उत्कृष्ट पारंपरिक ज्ञान के दौरान फार्म इनोवेशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. इनके फलों की तारीफ करते हुए हरदेव चौधरी कहते हैं कि सदाबाहर पूरे वर्ष खिलते हैं. फल का स्वाद मीठा होता है और एक बौने विविधता के रूप में विकसित होते हैं. वे कहते हैं कि आम की इस नस्ल को किचन ग्रार्डन में बर्तन में रखकर कुछ समय बाद उत्पादित किया जा सकता है. वे कहते हैं कि मौजूदा किस्मों की स्थिति को देखते हुए इसकी क्षमता बड़ी है. ऑक्सीजन की अत्याधिक उपलब्धता होने के कारण ये उत्पादकों के लिए भी बेहद फायदेमंद हो सकता है. वे कहते हैं कि ये किस्म देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का एकमात्र हाईब्रिड आम है जो कि साल में तीन बार फल देता है.
राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन की शान बने है सदाबहार (The pride of the Mughal Gardens of Rashtrapati Bhavan has become evergreen)
किशन सुमन द्वारा उत्पादित की जा रही आम की ये किस्म अब राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन की शान बन चुके हैं. सदाबार आम किस्म के यहां पर चार पौधे लगाए गए है. किशन के अनुसार उनके चार बीघा खेत में आम के 22 मदर प्लांट्स और 300 ग्राफ्टेड प्लांट्स लगे हुए हैं. सदाबहार नाम की आम की यह किस्म रोग प्रतिरोधी है. बौनी किस्म होने से इसे गमले में भी लगाया जा सकता है. इसमें वर्ष भर नियमित रूप से फल आते हैं और ये सघन रोपण के लिए भी उपयुक्त है. जब से राष्ट्रपति भवन में सुमन के आमों को लगाया गया था, तब से उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई है.
सुमन ने दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में नर्सरी और व्यक्तियों को 800 रुपये से अधिक, 800 रुपये के लिए उपलब्ध कराया है. सुमन ने कहा, "मुझे नाइजीरिया, पाकिस्तान, कुवैत, इराक, यूके और संयुक्त राज्य अमेरिका से भी लोग कॉल करके सदाबहार के बारे में पूछ रहे हैं. सुमन के अनुसार एक पौधा लगभग 5 साल बाद फल देता है. मेरे लिए एक अच्छी बात यह है कि उत्पादक लंबे समय तक का इंतजार करते हैं लेकिन वे शिकायत नहीं करते हैं. ये सदाबार अन्य किस्मों से बहुत अलग है.