देश में बेरोजगारी की समस्या किस कदर विकराल रूप अख्तियार कर चुकी है. यह तो फिलहाल हमें बताने की जरूरत नहीं है. कोरोना की एंट्री से पहले ही बेरोजगारी ने 45 साल के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर चुकी है और अब ऊपर से कोरोना की एंट्री ने इसे और विकराल बना दिया है. सभी कल-कारखानों में बंदी का दौर शुरू हो चुका है. बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में अगर सरकार की तरफ से यह खबर सामने आ जाए कि वह सभी बेरोजगारों को 3500 रूपए बेरोजगारी भत्ता देने जा रही है, तो आप ही बताइए कि भला किसका ध्यान इसकी तरफ से नहीं जाएगा. बस, ऐसा ही कुछ यहां हुआ है, एकाएक किसी तेज आग की लपटों की तरह यह खबर फैल गई कि केंद्र सरकार की तरफ से 18 से 40 साल के बेरोजगार युवाओं को 3500 रूपए बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है.
बस फिर क्या...यह सुनते ही बेरोजगारी के जाल में फंसे लोगों के चेहरे खिल उठे. उन्हें लगा कि यह तो कमाल हो गया है. किसी ने फेसबुक तो किसी ने वाट्सअप, तो किसी ने ट्विटर का सहारा लेकर इस खबर को ऐसे फैलाया कि देखते ही सभी बेरोजगारों तक यह खबर फैल गई. इतना ही नहीं, बेरोजगारों को रिझाने व इस फर्जी खबर की विश्वनियता को बनाए रखने के लिए उस मैसेज में एक लिंक भी भेजा गया, जिसमें युवाओं से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा गया था.
वहीं, मैसेज में लोगों को रोजगार देने के लिए इस योजना का नाम ‘प्रधानमंत्री बेरोजगारी भत्ता योजना’ दिया गया, ताकि लोग इस योजना को विश्वनीय समझ सके. इस योजना के तहत पंजीकृत कराने की आखिरी तारीख 28 मई निर्धारित की गई है. वहीं, जब यह पूरा मामला पीआईबी के संज्ञान में आया, तो इसकी जांच गई, जिसमें यह फर्जी पाया गया. इसके बाद फिर खुद पीआईबी ने ट्वीट कर कहा कि ऐसी कोई भी योजना सरकार की तरफ से नहीं चलाई गई है.
यह पूरी तरह से फर्जी है. मैसेज में भेजा जा रहा लिंक भी फर्जी है, लिहाजा कोई भी इस खबर को महत्व न दे. गौरतलब है कि इससे पहले भी कई मौकों पर इस तरह की फर्जी खबरों को लोगों के बीच बड़े पैमाने पर प्रचारित कर भ्रमित किया गया है.