Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 20 May, 2019 3:15 PM IST

जैविक कृषि के क्षेत्र में अपने नवाचार प्रयासों के लिए केरल के 25 साल पुराने जैविक किसान समूह 'केरल जय कार्षका समिति' (Kerala Jaiva Karshaka Samithi) ने वैश्विक मान्यता प्राप्त की है. दरअसल दक्षिण कोरिया के इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर मूवमेंट (IFOAM) में एशिया के सहयोग से चीन के 'Xichong' में चीनी नगर पालिका एसोसिएशन (Chinese Municipality in association)  द्वारा स्थापित 'ऑर्गेनिक मेडल ऑफ ऑनर' के दो विजेताओं में से 'केरल जय कार्षका समिति' एक है.यह पुरस्कार उन्हें 30 मई को Xichong में दिया जाएगा. इस पुरस्कार की राशि 5,000 अमरीकी डॉलर है, जो स्वर्ण पदक के अलावा लगभग 3.5 लाख भारतीय रुपए है. इस पुरस्कृत राशि का पूरा उपयोग एसोसिएशन द्वारा किया जाएगा.

एसोसिएशन के राज्य सचिव अशोक कुमार वी ने टीएनएम(TNM) को उन्होंने बताया कि 25 साल पहले स्थापित जैविक कृषि संघ में लगभग 15,000 सदस्य हैं जो कि पूर्ण रूप से सक्रिय किसान हैं. उन्होंने ये भी बताया कि एसोसिएशन की लोकतांत्रिक संरचना और संचालन सहित उनके फंड संग्रह की पद्धति अंतरराष्ट्रीय पदक को देने के प्रमुख कारणों में से एक था. हमारे पास छोटे और बड़े किसान हैं जो हमारे संघ में सब्जियों, खाद्य और नकदी फसलों की खेती करते हैं.हर साल, हम किसानों को बोर्ड सदस्य और आपस में हितधारक बनने के लिए चुनते हैं.

अशोक ने यह भी कहा कि जिसमें एसोसिएशन बोर्ड अपने सदस्यों में से एक कार्यकारी और एक राज्य निकाय का चुनाव करता है, जिसमें प्रत्येक जिले के अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सचिव और अन्य शामिल होते हैं. साथ में वे जैविक खेती से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हैं और निर्णय लेते हैं. जबकि अधिकांश अन्य कृषक समूह एनजीओ के रूप में काम करते हैं और फंड  मांगते हैं. जबकि हम ऐसा नहीं करते हैं. हम किसानों को चावलों की रक्षा के लिए पारंपरिक किस्मों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. हम इन किस्मों को बेचते हैं ताकि लोग उन्हें अन्य क्षेत्रों में खरीद सकें और खेती कर सकें. अशोक ने बताया कि उगाई जाने वाली पारंपरिक सब्जियों में भिंडी, बैंगन, बीन्स, हरी मिर्च आदि शामिल हैं. समूह भी रुचि रखने वालों के लिए जैविक खेती पाठ्यक्रम आयोजित करता है. पाठ्यक्रम 20 अलग-अलग खेतों में 20 रविवार से अधिक आयोजित किया जाता है, जहां जैविक खेती और व्यावहारिक कक्षाएं दोनों के सिद्धांत आयोजित किए जाते हैं.

इसमें जो शिक्षक पढ़ाते है वे ऐसे किसान हैं जो जैविक खेती कर रहे हैं. अशोक ने कहा कि राज्य के कृषि इतिहास से लेकर जैविक खेती के तरीकों और बढ़ती हुई फसलों और जैविक उत्पादों के विपणन तक सभी चीजें सही तरीके से विद्यार्थी सीखेंगे. उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि उपज पर कीटनाशकों से कैसे छुटकारा पाएं और पोषक तत्वों को बनाए रखने के लिए जैविक उपज कैसे पकाना है. गाँव स्तर पर जैविक खेती के पाठ्यक्रम के अलावा, बच्चों और महिलाओं को घरों को विष मुक्त रखने के लिए सिखाया जाता है.

अशोक ने कहा कि पाठ्यक्रमों की व्यापक सूची के अलावा, एसोसिएशन प्रतिवर्ष विभिन्न जिलों में एक जैविक खेती महोत्सव आयोजित करता है. जहां सदस्य जैविक खेती के साथ अपनी खोजों या अनुभवों पर चर्चा कर सकते हैं. 2019 में, त्योहार कन्नूर के वडकारा में आयोजित किया गया था. यहां हमारे पास जो किसान राज्य के बाहर से आते हैं, उन्हें हमारे सदस्य और विशेषज्ञ जैविक खेती करने के अभिनव तरीकों पर शिक्षित करते हैं. इससे विचारों के आदान-प्रदान में मदद मिलती है. उदाहरण के लिए, तमिलनाडु के एक किसान स्वामीनाथन ने पिछले साल इस समारोह में भाग लिया और अपने अभिनव जैविक कपास संयंत्र को प्रस्तुत किया. इतना ही नहीं यहाँ मोनसेंटो या अन्य कृषि कंपनियों से लाए गए बीजों से जैविक कपास नहीं उगाया जाता है. बल्कि वे 100 प्रतिशत प्राकृतिक हैं और इसका उपयोग कपड़े बनाने के लिए किया जा सकता है.

English Summary: international award wins kerala for innovative farming
Published on: 20 May 2019, 03:23 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now