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Updated on: 22 February, 2025 8:46 PM IST
रजत जयंती के उपलक्ष्य में वर्चुअल माध्यम से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थान के वैज्ञानिकों एवं कर्मियों को संबोधित करते हुए डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में दिनांक 22 फरवरी 2025 को विशिष्ट अतिथि डॉ. संजय कुमार (अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल) द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ स्थापना दिवस का शुभारंभ हुआ. इस अवसर पर माननीय विधायक डॉ. संजीव चौरसिया (दीघा, विधानसभा), डॉ. बी. राजेंद्र (भा. प्र. से.), अपर मुख्य सचिव, डॉ. ए. वेलमुरुगन, सहायक महानिदेशक (एसडब्ल्यूएम), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, डॉ. एम ए खान, पूर्व निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना, डॉ. वी. के सक्सेना, निदेशक अनुसंधान, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना, डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, अटारी, पटना, और डॉ. एस.के. पूरबे, कार्यकारी निदेशक, एम.जी.एफ.आर.आई., मोतिहारी भी उपस्थित थे.

रजत जयंती के उपलक्ष्य में डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने वर्चुअल माध्यम से संस्थान के वैज्ञानिकों एवं कर्मियों को बधाई दी. इस अवसर पर उन्होंने पूर्वी भारत की विशाल कृषि संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कृषि प्रगति को प्रकृति से जोड़कर जलवायु-स्मार्ट फसलों के विकास, जैव संवर्धित फसल किस्मों को अपनाने और जलवायु-अनुकूल कृषि तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही, उन्होंने सम्मानित किसान भाइयों और मीडियाकर्मियों को बधाई देते हुए कृषि प्रचार-प्रसार में मीडियाकर्मियों की अग्रिम भूमिका की सराहना भी की.

डॉ. संजय कुमार ने संबोधन में कृषि के भविष्य को आकार देने में यंत्रीकरण और नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने ब्लॉकचेन तकनीक की संभावनाओं को उजागर करते हुए मूल्य संवर्धन, प्रसंस्करण, भंडारण और उन्नत पैकेजिंग समाधानों की आवश्यकता पर बल दिया. इस अवसर पर उन्होंने किसानों को उद्यमी बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए "किसान मॉल" की स्थापना का प्रस्ताव रखा, जो भविष्य में कृषि को व्यावसायिक मॉडल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. बी. राजेंद्र (आईएएस) ने संस्थान को रजत जयंती स्थापना दिवस की बधाई देते हुए किसानों से संस्थान से जुड़े रहने की अपील की  और संस्थान के 25 वर्षों की उपलब्धियों की प्रसंशा की.      
डॉ. ए. वेलमुरुगन, सहायक महानिदेशक (एसडब्ल्यूएम), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने पूर्वी भारत की कृषि चुनौतियों के समाधान हेतु स्मार्ट रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने धान परती भूमि प्रबंधन पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत में दूसरी हरित क्रांति में यह संतान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

        
रजत जयंती के उपलक्ष्य में डॉ. अनुप दास ने पिछले 25 वर्षों में संस्थान द्वारा विकसित 12 जलवायु-सहिष्णु धान की किस्में, 63 उच्च उपज देने वाली पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियों की किस्में, 6 फलों की उन्नत किस्में और अन्य प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित किया. उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने हेतु डिजिटल कृषि, ड्रोन, एआई, मशीन लर्निंग और परिशुद्ध कृषि जैसी स्मार्ट तकनीकों को अपनाने की जरूरत पर जोर दिया. 

साथ ही, डॉ. दास के नेतृत्व में इस कार्यक्रम में बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और असम से 700 से अधिक किसानों के साथ-साथ 300 से अधिक वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं, उद्यमियों और मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस दौरान रांची गेस्ट हाउस का वर्चुवल रूप से उद्घाटन किया गया और संस्थान की 25 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन किया गया और कई अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया.

कार्यक्रम के विशेष आकर्षणों में "रजत जयंती पार्क" का उद्घाटन था, जिसे दिघा विधानसभा के विधायक डॉ. संजीव चौरसिया और डॉ. संजय कुमार, अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल ने संयुक्त रूप से किया. डॉ. चौरसिया ने संस्थान की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कृषि नवाचारों को बड़े पैमाने पर किसानों  द्वारा अपनाने की जरूरत पर बल दिया.

साथ ही, संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. एम. ए. खान; डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, अटारी पटना और डॉ. एस. के .पूरबे, कार्यकारी निदेशक, एमजीएफआरआई, मोतिहारी ने संस्थान के कर्मचारियों को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए बधाई दी और कृषि के बहुमुखी विकास में संस्थान के प्रयासों की सराहना की. इस उपलक्ष्य में संस्थान द्वारा एक वीडियो भी जारी किया गया, जिसमें  संस्थान के 25 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा की झलक देखने को मिलती है.  डॉ. उज्ज्वल कुमार आयोजन सचिव के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.

English Summary: Integration of agriculture and science by linking agricultural progress with nature is essential for the all-round development of agriculture: Dr. Himanshu Pathak
Published on: 22 February 2025, 08:58 PM IST

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