लुपिन फाउण्डेशन द्वारा बीएस पब्लिक स्कूल सेवर में आयोजित किये जा रहे छः दिवसीय प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर में शुक्रवार को चौथे दिन बारानी खेती के लिये घनामृत बनाने की विधियों की जानकारी दी गयी. वहीं पेड-पौधों के लिये आवश्यक उपयोगी तत्वों और प्रकाश व वायु की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया गया. शिविर में कृषि एवं पशुपालन राज्यमंत्री भजनलाल जाटव भी शामिल हुए, जहां उन्होंने 19 राज्यों से आये किसानों का राज्य सरकार की ओर से अभिवादन करते हुये कहा कि प्राकृतिक खेती भी देश का भविष्य है और इस खेती के माध्यम से जहां हमें पौष्टिक एवं गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न प्राप्त होते हैं वहीं इनका विक्रय मूल्य भी सामान्य के मुकाबले अधिक रहता है.
प्रशिक्षण में कृषि एवं पशुपालन राज्यमंत्री भजनलाल जाटव ने कहा कि प्राकृतिक खेती की उपादेयता को देखते हुये राज्य सरकार आगामी कृषि नीति में इसे शामिल करेगी और इसकी शुरूआत वैर विधानसभा से शुरू की जायेगी. उन्होंने बताया कि रासायनिक एवं कीटनाशक दवाईयों के प्रयोग से की जा रही खेती से मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और कई लाईलाज बीमारियां पैदा हो रही हैं. उन्होंने बताया कि कीटनाशक दवाईयों के उपयोग से तो खाद्यान्न इतने जहरीले हो जाते हैं कि इनके प्रयोग से कैंसर जैसी बीमारियां सामने आ रही हैं. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही किसानों का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा जिसमें डॉ0 सुभाष पालेकर द्वारा इजाद की गई प्राकृतिक कृषि की जानकारी दी जायेगी जिसमें मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया जायेगा.
कृषि एवं पशुपालन राज्यमंत्री ने प्रशिक्षणार्थी किसानों से आग्रह किया कि वे प्राकृतिक कृषि के बारे में दी गई जानकारी का उपयोग कर प्राकृतिक खेती शुरू करें. निश्चय ही इस विधि से की गई खेती उन्हें लाभदायक सिद्ध होगी. उन्होंने कहा कि भरतपुर के विकास के लिये प्रदूषणरहित उद्योग लगवाने के प्रयास किये जा रहे हैं ताकि यहां के युवाओं को रोजगार मिल सके. उन्होंने कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर भरतपुर के विकास में सहयोग करना चाहिए. प्रारम्भ में लुपिन के अधिशासी निदेशक सीताराम गुप्ता ने कहा कि देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी कृषि से जुड़ी हुई है. ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि किसानों को उनके उत्पादों लाभकारी मूल्य दिलाया जाये. उन्होंने बताया कि राज्य में पहलीबार लुपिन फाउण्डेशन ने प्राकृतिक कृषि का प्रशिक्षण आयोजित किया है जिसमें 19 राज्यों के करीब 6 हजार किसान भाग ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि भविष्य में रासायनिक कृषि से होने वाले नुकसान को देखते हुये किसानों को प्राकृतिक खेती पर आना होगा.
रासायनिक खादों के स्थान पर घनामृत का प्रयोग करें
प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण में डॉ0 सुभाष पालेकर ने बताया कि असिंचित खेती के लिये घनामृत का उपयोग करने से कृषि उत्पादन बढ़ जाता है. उन्होंने बताया कि इसके लिये 200 किलो देशी गाय के गोबर को सुखाकर उसमें जीवामृत डालें और उसे छाया में सुखाकर अन्तिम जुताई के साथ खेतों में छिड़काव कर दें. इसके अलावा गोबर आधारित घनामृत का भी उपयोग कर सकते हैं जिसके लिये 100 किलो देशी गाय के गोबर को धूप में सुखा लें और उसे पीसकर उसमें एक किलो गुड़ व एक किलो बेसन मिला लें तथा उसे 48 घण्टे तक छाया में सुखायें. तब उसे खेतों में डालें जिससे पौधों को पर्याप्त मात्रा में आवश्यक तत्व व पोषण प्राप्त हो जायेगा. उन्होंने बीजोपचार की विधि की भी जानकारी दी जिसमें बताया कि रासायनिक दवाईयों के स्थान पर प्राकृतिक विधि द्वारा तैयार किये गये बीजोपचार को काम में लें जिसके लिये 10 किलो बीज में 500 ग्राम देशी गाय का गोबर और 5 ग्राम चूना मिलाकर घोल बना लें. बाद में इसे छाया में सुखाकर काम में लें.
डॉ0 पालेकर ने पेड़-पोधों के लिये आवश्यक पोषक तत्वों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि नाईट्रोजन व अन्य खनिज तत्व पौधों की बढ़तवार व उत्पादन में सहायक होते हैं जो जीवामृत से प्राप्त हो जाते हैं.
केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री प्रशिक्षण शिविर में आयेंगे आज
केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी शनिवार को प्रातः 10 बजे डॉ0 सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर में शामिल होंगे जहां वे इस प्राकृतिक कृषि विधि की उपयोगिता जानकर देश में इस विधि को लागू करवाने के संबंध में घोषणा करेंगे.