भारत में वनस्पति तेलों के आयात में फरवरी 2025 के दौरान बड़ी गिरावट देखी गई है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 में देश में कुल वनस्पति तेल आयात 8,99,565 टन रहा, जो फरवरी 2024 के 9,65,852 टन की तुलना में 7% कम है. इस गिरावट की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव और घरेलू स्तर पर मांग में बदलाव को माना जा रहा है.
फरवरी में कितना खाद्य और अखाद्य तेल हुआ आयात?
आयात किए गए कुल 8,99,565 टन वनस्पति तेलों में से 8,85,561 टन खाद्य तेल (Edible Oil) और 14,004 टन अखाद्य तेल (Non-Edible Oil) शामिल हैं. खाद्य तेलों की इस कमी का सीधा असर देश की खाद्य तेल आपूर्ति पर पड़ सकता है, जिससे भविष्य में कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है.
मई 2020 के बाद सबसे कम मासिक आयात
फरवरी 2025 में हुआ यह आयात मई 2020 के बाद सबसे कम बताया जा रहा है. गौरतलब है कि मई 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण आयात में भारी गिरावट आई थी और तब केवल 7,20,976 टन तेल ही आयात किया गया था. इस बार भी कई आर्थिक व व्यापारिक कारणों की वजह से आयात कम हुआ है, जिससे तेल उद्योग से जुड़े व्यापारियों में चिंता देखी जा रही है.
चार महीनों में कुल आयात में 4% की वृद्धि
हालांकि, अगर पूरे तेल वर्ष 2024-25 की बात करें (नवंबर 2024 से फरवरी 2025), तो इन चार महीनों के दौरान भारत ने कुल 4,807,798 टन वनस्पति तेल का आयात किया है. यह आंकड़ा पिछले साल की इसी अवधि के 4,638,963 टन की तुलना में 4% अधिक है. यानी सालाना आधार पर तेल के कुल आयात में बढ़ोतरी देखी गई है.
पाम ऑयल आयात में गिरावट, सॉफ्ट ऑयल की मांग बढ़ी
सबसे ज्यादा असर पाम ऑयल के आयात पर पड़ा है, जो फरवरी 2025 में चार महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. विशेषज्ञों के मुताबिक, इसकी मुख्य वजह रिफाइनिंग में असमानता (Disparity in Refining) है, जिसके कारण भारतीय आयातकों ने सॉफ्ट ऑयल (Soft Oil) जैसे सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल की ओर रुख किया है.
आयात में गिरावट के पीछे क्या हैं कारण?
-
अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव – वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण भारत में आयात प्रभावित हुआ है.
-
रिफाइनिंग लागत में वृद्धि – पाम ऑयल के रिफाइनिंग में ज्यादा खर्च आने के कारण आयातकों ने अन्य तेलों को प्राथमिकता दी है.
-
घरेलू उत्पादन और स्टॉक – भारत में खाद्य तेलों का पर्याप्त स्टॉक और स्थानीय स्तर पर उत्पादन में वृद्धि भी आयात में गिरावट का एक कारण हो सकता है.
आगे क्या हो सकते हैं प्रभाव?
वनस्पति तेलों के आयात में कमी से भारत में तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि हो सकती है. हालांकि, सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और उचित नीतियों के जरिए स्थिरता बनाए रखने का प्रयास कर सकती है. उपभोक्ताओं के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले महीनों में तेल की कीमतें किस दिशा में जाती हैं.