दिल्ली के प्रगति मैदान में तीन दिवसीय भारतीय अंतरराष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला का आगाज हो चुका है. यह मेला भारत का पहला और सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेला है. इस तीन दिवसीय मेले का उद्देश्य कृषि और उससे संबंधित उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने से है जिससे ग्रामीण और कृषि समृद्धि बढ़े. गत दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस मेले का शुभारंभ किया. इस अवसर पर पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री गिरिराज सिंह, कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रुपाला, कैलाश चौधरी कृषि सचिव संजय अग्रवाल और वाणिज्य सचिव अनुप वाधवा के साथ ही सहकारिता विभाग और सहकारिता क्षेत्र के अलावा अन्य विभागों के भी वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहें.
इस अवसर पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सहकारिता संस्कृति भारत के लिए कोई नया विषय नहीं है. वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाकर इसे आगे बढ़ाया जा सकता है. देश में सहकारिता क्षेत्र के ऐसी कंपनियां है, जिनका डंका देश नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बज रहा है। इस क्षेत्र की संभावनाओं के दोहन की सख्त जरूरत है. कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि सहकारिता के प्रोत्साहन से किसानों की आमदनी को दोगुना करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही कुछ वर्षो में कृषि उत्पादों का निर्यात 3,000 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 60 बिलियन डॉलर किया जा सकता है.
इस मेले का आयोजन राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय संगठन नेडैक के अलावा नैफेड, एपीडा आईटीपीओं की ओर से किया गया है. कृषि, वाणिज्य तथा विदेश मंत्रालय इसमें सहयोग कर रहा है. इस व्यापार मेले में तेलंगना, हरियाणा, उत्तराखंड, पुड्डुचेरी, मेघालय और गोवा साझीदार राज्य है. हालांकि इस व्यापार मेले में इफको जैसी कई सहकारी संस्थाएं भी शिरकत की है. मेले में तकरीबन 35 देशों के प्रतिनिधि और संगठन अपने अपने उत्पादों को लेकर पहुंचे है. इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, जापान, इजरायल, चीन, ब्राजील, बंगलादेश, नेपाल, भूटान, फिजी, जर्मनी, ईरान, मलेशिया, मारीशस, रुस, स्पेन, श्रीलंका आदि शामिल हैं. गौरतलब है इस मेले में दूर- दूराज के प्रगति किसानों के अलावा कई कंपनियां भी शिरकत कर रही है.
लेखक – मनीशा शर्मा
विवेक कुमार राय
कृषि जागरण