Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 4 January, 2019 9:53 AM IST

अमेरिका की ओर से भारतीय कृषि उत्पादों के आयात पर लगाए गए शुल्क के जवाब में भारत भी अमेरिकी आयात पर शुल्क लगा सकता है. जिसका अमेरिकी निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा और उसका लगभग 90 करोड़ डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा. गौरतलब है कि अमेरिका से भारत में सेब, बादाम, अखरोट, दाल और चना आयात किया जाता है. भारत ने भी सेब, बादाम और मसूर समेत अन्य अमेरिकी कृषि उत्पादों पर शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है. अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में इस बात का अंदेशा जताया गया है कि अगर भारत की ओर से कृषि उत्पादों को लेकर इस तरह का कदम उठाया जाता है तो अमेरिका के निर्यात पर करीब 90 करोड डॉलर का असर पड़ेगा.

सनद रहे कि पिछले साल ही भारत ने अमेरिका से आयात होने वाले सेब, बादाम, अखरोट और दालों पर शुल्क बढ़ाया था. हालांकि, भारत शुल्क लागू होने की तिथि को लगातार बढ़ाता आ रहा है. भारत की ओऱ से टैरिफ बढ़ाने का फैसला अमेरिका की तरफ से भारत के निर्यात स्टील और ऐल्युमिनियम की चीजों पर टैरिफ लगाने के बाद किया गया था. बता दें कि भारत ही विश्व का एक ऐसा देश है जो दूसरे देश के टैरिफ बढ़ाने के बाद भी शुल्क में बढ़ोतरी नहीं कर रहा है. हालांकि इसकी घोषणा करीब 6 महीने  पहले ही कर दी गई थी.

दरअसल, अमेरिकी संसद की स्वतंत्र शोध शाखा 'संसदीय शोध सेवा' (सीआरएस) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन, यूरोपीय संघ, तुर्की, कनाडा और मैक्सिको के जवाबी शुल्क के दायरे में 800 से अधिक अमेरिकी खाद्य और कृषि उत्पाद आते हैं. सीआरएस ने ट्रंप सरकार के शुल्क लगाने की प्रतिक्रिया पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने अमेरिकी खाद्य और कृषि उत्पादों पर शुल्क लगाने की धमकी दी है. हालांकि, दोनों देशों के बीच चल रही बातचीत के मद्देनजर वह शुल्क लगाने की तिथि को कई बार आगे बढ़ा चुका है और अब 31 जनवरी 2019 की तारीख तय की है. सीआरएस ने कहा कि अमेरिका ने भारत को 2017 में कुल 1.8 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का निर्यात किया था. भारत ने जिन उत्पादों पर शुल्क लगाना निर्धारित किया है, उसका मूल्य 85.7 करोड़ डॉलर है. अमेरिका के किसानों खासकर बादाम उगाने वाले भारत के जवाबी शुल्क की धमकी को महसूस कर रहे हैं.

23 मार्च 2018 को अमेरिका ने स्टील के आयात पर 25 फीसदी और ऐल्युमिनियम के आयात पर 10 फीसदी शुल्क लगाया था. इसके बाद कई देशों ने अमेरिका के फूड प्रोडक्ट्स पर टैक्स लगा दिया था. हालांकि भारत जवाबी शुल्क लागू करने में देरी कर रहा है. इस टैक्स का एलान भारत ने पिछले साल अक्टूबर में ही कर दिया था. उस दौरान ट्रंप ने भारत को टैरिफ किंग कहा था और कहा था कि, भारत ने अमेरिका के आय़ातों पर टैरिफ लगाया है.

English Summary: India's $ 90-million shock by this move in agriculture sector
Published on: 04 January 2019, 09:56 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now