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Updated on: 23 September, 2019 6:05 PM IST

अपने स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ के लिए लाभकारी माने जाने वाले भारतीय भोजन अब पहले की तरह विटामिन,  प्रोटीन या शक्ति देने वाले नहीं रहे.  ना तो अब दाल में पहले जैसी उर्जा शक्ति है और ना ही फल-सब्जियों में पहले की तरह आयरन या कार्बोहाइड्रेट बचा है. आपको इस बात पर यकिन ना हो रहा हो, लेकिन नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ नुट्रिशन  ने अपने एक रिपोर्ट में ये बात स्वीकार की है. रिपोर्ट में ये कहा गया है कि मिट्टी के पोषक तत्वों में कमी आने के कारण भोजन की शक्ति पर असर पड़ा है.

इस बारे में विशेषज्ञों ने बताया कि निसंदेह भोजन पहले की अपेक्षा ना सिर्फ कम स्वास्थवर्धक रह गया है, बल्कि वो जहरीला भी हो गया है. उन्होनें कहा कि ऐसा होने के कई कारण हैं, जैसे- केमिकल्स, जहरीले फ़र्टिलाइज़र और विषैले दवाईयों आदि का प्रयोग बड़े स्तर पर होना आदि, जिसके कारण शुद्ध फसलों का अभाव होता जा रहा है.

रिपोर्ट में ये बताया गया मानवीय क्रियाओं के कारण जलवायु तेज़ी से बदलती जा रही है, जिसका प्रभाव फसलों की शुद्धता एवं पौष्टिकता पर भी पड़ रहा है. आज़ के संदर्भ में मिट्टी में 43 प्रतिशत जिंक की कमी आई है. जबकि बोरान में 18.3 प्रतिशत कमी और आयरन में 12 प्रतिशत कमी आई है. इन कारणों से भारतीय भोजन में ना पहले सा स्वाद रहा है और ना ही पौष्टिकता रही है.

गौरतलब है कि खाने में आ रही खराबी के कारण बहुत से रोगों का प्रभाव बढ़ रहा है. इस बारे में एक कैंसर विशेषज्ञ से बात करने पर मालूम पड़ा कि कैंसर जैसी बीमारियों के बढ़ने का मुख्य कारण प्रदूषित जल और हानिकारक कीटनाशकों द्वारा की जा रही खेती ही है. इसलिए बेहतर है कि जहरीले पदार्थों वाले रासायनिक खादों की बिक्री को रोक दिया जाये.

English Summary: indian meals are not as healthy as it was before 30 year
Published on: 23 September 2019, 06:07 PM IST

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