भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा खरीफ 2024 की ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) गतिविधियों की समीक्षा कार्यशाला का सफल आयोजन 16 मई 2025 को वर्चुअल माध्यम से किया गया. कार्यशाला की अध्यक्षता आईएआरआई के निदेशक डॉ. सी. एच. श्रीनिवास राव ने की. इस अवसर पर आईसीएआर संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों (AUs), झांसी स्थित केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (CAU) तथा 16 स्वयंसेवी संगठनों (VOs) सहित विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया. यह सहयोगात्मक पहल आईएआरआई का प्रमुख साझेदारी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य प्रगतिशील कृषि अनुसंधान और जमीनी स्तर पर उसके कार्यान्वयन के बीच की खाई को पाटना है.
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष तीन नए स्वयंसेवी संगठनों को कार्यक्रम में शामिल किया गया, जो विभिन्न जलवायु क्षेत्रों और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इससे कार्यक्रम की पहुंच और समावेशिता को और अधिक बल मिला है.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए, डॉ. राव ने इस प्रकार के सहयोग की रणनीतिक महत्ता को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि तकनीकी ज्ञान के प्रसार के माध्यम से भारत के किसानों को सशक्त बनाया जा सकता है, जिससे कृषि का सतत विकास संभव है. उन्होंने जोर देते हुए कहा, “अनुसंधान संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों और स्वयंसेवी संगठनों की यह अनोखी साझेदारी ही किसानों तक सही समय पर सही तकनीक पहुंचाने का मूलमंत्र है.”
डॉ. राव ने सभी सहभागियों की सक्रिय भागीदारी और योगदान की सराहना की और बताया कि कार्यशाला में 28 विस्तृत प्रस्तुतियां दी गई, जिनमें पूर्व सीजन की उपलब्धियां और आगामी सीजन की योजनाएं शामिल थीं. उन्होंने सभी हितधारकों से इस गति को बनाए रखने और आईएआरआई की नवीनतम किस्मों एवं तकनीकों के प्रभावी और समयबद्ध हस्तांतरण को सुनिश्चित करने का आग्रह किया.
उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार तकनीकों को ढालने के लिए मज़बूत फीडबैक तंत्र और सहभागी दृष्टिकोण को अपनाना आवश्यक है. डॉ. राव ने आगे कहा, “भारतीय कृषि का भविष्य साझेदारी आधारित नवाचार और खेत-स्तर की सहभागिता में निहित है. आईएआरआई इस आंदोलन का नेतृत्व वैज्ञानिक उत्कृष्टता और जमीनी भागीदारी के साथ करता रहेगा.”
कार्यक्रम की शुरुआत में, डॉ. ए.के. सिंह, प्रभारी, कैटैट, आईएआरआई ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और डॉ. आर.एन. पडरिया, संयुक्त निदेशक (प्रसार), आईएआरआई ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया. कार्यशाला के अंतर्गत एक विशेष संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने अनुभव और सुझाव साझा किए. इन बिंदुओं को डॉ. पडरिया द्वारा संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए आगे की दिशा तय की गई.
कार्यशाला का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि तकनीकी हस्तांतरण में कार्यक्षमता, समावेशिता और नवाचार को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे आईएआरआई की कृषि विकास और विस्तार क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका और सशक्त होगी.