नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 19 June, 2020 3:19 PM IST

लद्दाख में भारतीय सैनिकों पर हमले के बाद से पूरे देश में चीन का बहिष्कार शुरू हो गया है. व्यापारियों के साथ आम जनता भी चीन को सबक सिखाने के लिए मुहिम में शामिल हो गई है. सोशल मीडिया पर वार छिड़ गया है. ऐसे में लॉकडाउन के बाद से घाटे में जा रहे भारतीय उद्द्योग-धंधों में नई आस जग गई है. विशेषकर कृषि एवं उससे जुड़े मशीनों का निर्माण करने वाली कंपनियों को अब कुछ मुनाफा दिखने लगा है.

भारतीय कंपनियों को होगा फायदा

भारतीय कृषि जगत में चीन की मशीनों और उत्पादों का बड़ा हाथ हैं. यही कारण है कि देश की बड़ी कंपनियों को भी कई बार भारी नुकसान झेलना पड़ता है. इस समय अगर भारत सरकार चीन के कृषि उपकरणों पर प्रतिबंध लगाती है, तो भारतीय कंपनियों एवं खाद्य क्षेत्र में स्टार्टअप्स की राह देखने वाले युवाओं को बड़ा मुनाफा होगा.

ये खबर भी पढ़ें:प्रवासी मजदूरों के लिए खुशखबरी ! सरकार रोजगार देने के लिए 6 राज्यों में चलाएगी गरीब कल्याण रोजगार अभियान

कुटीर उद्योगों को होगा लाभ

भारत के बाजार में चीन से आने वाले वाले घरेलू उत्पादों की धूम रही है. यही कारण है कि छोटे व्यापारियों और कामगारों को अधिक मुनाफा नहीं होता है. लेकिन अब चीन के बहिष्कार से कुटीर उद्योगों को लाभ मिलने की संभावना बढ़ गई है.

इन क्षेत्रों में आएगी बहार

भारतीय बाजार में आज से 20 दशक पहले तक ग्रामीण क्षेत्र के उद्योगों का दबदबा था. लेकिन 1990 में ग्लोबलाइजेशन के आन के बाद अचानक इनकी हालत पतली होती चली गई. सबसे अधिक नुकसान चीन में बनने वाले उत्पादों से हुआ. भारतीय कुम्हारों के चाक की गति कब मंद हो गई, किसी को पता ही नहीं लगा. इसी तरह लकड़ी, खिलौना, पटाखों एवं सजावटी उद्योगों का धंधा भी चीन के कारण लगभग बंद हो गया. लेकिन अब चीन के चीन के बहिष्कार की मुहिम से इन क्षेत्रों में आस जगी है.

English Summary: indian agri Agricultural machinery will be in profit after bycott china small industries will also earn money
Published on: 19 June 2020, 03:24 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now