लद्दाख में भारतीय सैनिकों पर हमले के बाद से पूरे देश में चीन का बहिष्कार शुरू हो गया है. व्यापारियों के साथ आम जनता भी चीन को सबक सिखाने के लिए मुहिम में शामिल हो गई है. सोशल मीडिया पर वार छिड़ गया है. ऐसे में लॉकडाउन के बाद से घाटे में जा रहे भारतीय उद्द्योग-धंधों में नई आस जग गई है. विशेषकर कृषि एवं उससे जुड़े मशीनों का निर्माण करने वाली कंपनियों को अब कुछ मुनाफा दिखने लगा है.
भारतीय कंपनियों को होगा फायदा
भारतीय कृषि जगत में चीन की मशीनों और उत्पादों का बड़ा हाथ हैं. यही कारण है कि देश की बड़ी कंपनियों को भी कई बार भारी नुकसान झेलना पड़ता है. इस समय अगर भारत सरकार चीन के कृषि उपकरणों पर प्रतिबंध लगाती है, तो भारतीय कंपनियों एवं खाद्य क्षेत्र में स्टार्टअप्स की राह देखने वाले युवाओं को बड़ा मुनाफा होगा.
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कुटीर उद्योगों को होगा लाभ
भारत के बाजार में चीन से आने वाले वाले घरेलू उत्पादों की धूम रही है. यही कारण है कि छोटे व्यापारियों और कामगारों को अधिक मुनाफा नहीं होता है. लेकिन अब चीन के बहिष्कार से कुटीर उद्योगों को लाभ मिलने की संभावना बढ़ गई है.
इन क्षेत्रों में आएगी बहार
भारतीय बाजार में आज से 20 दशक पहले तक ग्रामीण क्षेत्र के उद्योगों का दबदबा था. लेकिन 1990 में ग्लोबलाइजेशन के आन के बाद अचानक इनकी हालत पतली होती चली गई. सबसे अधिक नुकसान चीन में बनने वाले उत्पादों से हुआ. भारतीय कुम्हारों के चाक की गति कब मंद हो गई, किसी को पता ही नहीं लगा. इसी तरह लकड़ी, खिलौना, पटाखों एवं सजावटी उद्योगों का धंधा भी चीन के कारण लगभग बंद हो गया. लेकिन अब चीन के चीन के बहिष्कार की मुहिम से इन क्षेत्रों में आस जगी है.