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Updated on: 17 April, 2024 12:46 PM IST
गंभीर जल संकट की ओर बढ़ रहा भारत

भारत तेजी से गंभीर जल संकट की ओर बढ़ रहा है. अगर स्थिति ऐसी ही रही तो 2050 तक हालात बेहद खराब हो जाएंगे और भारत के 50 फीसदी जिलों को 'गंभीर' पानी की कमी देखने को मिलेगी. जिसका सीधा असर आम जन-जीवन और खेती पर पड़ेगा. दरअसल, देश के कृषि क्षेत्र में जल दक्षता में सुधार पर जारी एक रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गयाहै. रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सबसे अधिक जल संकट वाले देशों में से एक माने जाने वाले भारत को 2050 तक पानी की कमी के सबसे गंभीर प्रभावों का सामना करना पड़ेगा.

2050 तक बेहद खराब हो जाएंगे हालात

देश को तब तक प्रति व्यक्ति उपलब्धता में 15 प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ सकता है. जिसमें मांग में 30 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है, जो आसन्न मांग-आपूर्ति अंतर को उजागर करता है. 2050 तक देश के 50 फीसदी जिलों में पानी की गंभीर कमी होने की आशंका है.

डीसीएम श्रीराम और सत्व नॉलेज इंस्टीट्यूट द्वारा समर्थित डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन द्वारा जारी रिपोर्ट "ट्रांसफॉर्मिंग क्रॉप कल्टीवेशन: एडवांसिंग वॉटर एफिशिएंसी इन इंडियन एग्रीकल्चर" में कहा गया है कि भारत में दुनिया की लगभग 17 प्रतिशत आबादी है, लेकिन मीठे पानी के संसाधन केवल 4 प्रतिशत हैं. यहां दो-तिहाई लोग वर्तमान में पानी की कमी से जूझ रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के वर्तमान उपयोग योग्य जल संसाधनों की मात्रा 1,123 बिलियन क्यूबिक मीटर आंकी गई है - जो लगभग 40 करोड़ ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल के बराबर है. इसमें कहा गया है कि देश के मौजूदा जल स्रोतों पर बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है. दबाव मुख्य रूप से जनसंख्या वृद्धि और प्रदूषण के कारण था, कृषि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में पानी की अधिक निकासी के कारण संकट और बढ़ गया था.

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पानी की कमी से जूझ रही 76% आबादी 

फाल्कनमार्क इंडेक्स के अनुसार, प्रति व्यक्ति सालाना 1,700 क्यूबिक मीटर से कम पानी वाले क्षेत्रों को पानी की कमी का सामना करने वाला माना जाता है. इस सूचकांक के आधार पर, इसमें कहा गया है कि भारत में लगभग 76 प्रतिशत आबादी वर्तमान में पानी की कमी से जूझ रही है. भूजल संसाधनों पर कमी का प्रभाव सबसे गंभीर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि से जल संकट और गहरा गया है, कुल मिलाकर 80-90 प्रतिशत पानी की निकासी होती है.

पानी की कमी मुख्य रूप से अत्यधिक कृषि उपयोग के कारण होती है, जो भारत में लगभग 90 प्रतिशत पानी की निकासी के लिए जिम्मेदार है. एक कृषि प्रधान देश होने के नाते, सिंचाई अब तक भारत के जल भंडार का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है, जिसमें कुल जल भंडार का 84 प्रतिशत उपयोग होता है. इसके बाद घरेलू क्षेत्र और औद्योगिक क्षेत्र आते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है की अगर पानी ऐसे ही कम होता रहा तो आगे स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी.

English Summary: India is moving towards serious water crisis situation will get worse by 2050
Published on: 17 April 2024, 12:48 PM IST

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