A-HELP programme: पशु संखियों के लिए भारत सरकार ने झारखंड में ए-हेल्प प्रोग्राम का अनावरण किया है. इस कार्यक्रम में झारखंड सरकार के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख बतौर अतिथि शामिल हुए. वहीं इस प्रोग्राम में 500 से अधिक पशु सखियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम के दौरान मंत्री बादल पत्रलेख ने संबोधित करते हुए कहा कि ये एजेंट रोग नियंत्रण, पशु टैगिंग और पशुधन बीमा में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. इससे किसानों के दरवाजे तक पशु चिकित्सा सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी और इससे पशु सखियां सशक्त होंगी. महिला शक्ति के उल्लेखनीय एकीकरण की दिशा में एक कदम है.
कार्यक्रम का उद्देश्य
झारखंड के पशुधन क्षेत्र के समग्र विकास में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया गया है. ‘ए-हेल्प’ कार्यक्रम को एक पहल के रूप में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य महिलाओं को मान्यता प्राप्त एजेंटों के रूप में शामिल करके सशक्त बनाना है. जो रोग नियंत्रण, पशु टैगिंग व पशुधन बीमा में महत्वपूर्ण योगदान देंगी.
इन राज्यों में पहल हुई शुरू
पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड सहित विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में “ए-हेल्प” पहल शुरू की गई है. यह पहल ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तहत DAHD और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के बीच समझौता ज्ञापन (AOU) के माध्यम से संभव हुई है.
पशुधन क्षेत्र की उन्नति में महिलाओं का महत्व
पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार सचिव, अलका उपाध्याय ने कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भाग लिया, उन्होंने कहा कि पशुधन क्षेत्र के व्यापक विकास में पशुधन और महिलाओं द्वारा निभाई गई है. इन समुदाय-आधारित कार्यकर्ताओं का उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है. इसके साथ ही पशुधन संसाधन व्यक्तियों के रूप में सेवा करना और प्राथमिक सेवा प्रदाताओं के रूप में कार्य करके स्थानीय पशु चिकित्सा संस्थानों और पशुधन मालिकों के बीच की खाई को पाटना है.
इसे भी पढ़ें- ग्रामीण महिलाओं के लिए एक मुहिम “पशु सखी“
पशु सखियों को मिली A-HELP किट
कार्यक्रम में शामिल पशु सखियों को ए-हेल्प किट वितरित की गईं. इस कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों और पशु सखियों समेत 500 से अधिक लोगों की भागीदारी देखने को मिली. यह पहल क्षेत्र में पशुधन स्वास्थ्य, विस्तार सेवाओं और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे संभावित रूप से पशुधन उत्पादकता और ग्रामीण विकास में सुधार देखने को मिलेगा.