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Updated on: 9 January, 2025 5:36 PM IST
भारत और ब्राजील की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ. राजाराम त्रिपाठी, फोटो साभार: कृषि जागरण
  • ब्राजील और भारत हैं नैसर्गिक-मित्र और स्वाभाविक साझेदार

  • भारत और ब्राजील दोनों मिलकर भर सकते हैं पूरी दुनिया का पेट

  • धरती के दो छोरों पर बसे होने के बावजूद भारत और ब्राजील में अद्भुत समानताएं

"साझे प्रयासों से हर क्षेत्र में हरियाली संभव है!"

यह उक्ति भारत और ब्राजील जैसे दो कृषि-प्रधान देशों के लिए विशेष रूप से सटीक बैठती है. हाल ही में मुझे ब्राजील देश के सरकारी निमंत्रण पर ब्राजील की कृषि यात्रा का अवसर मिला, जहां मैंने उनकी उन्नत कृषि तकनीकों, प्रयोगशालाओं और खेतों पर खड़ी शानदार फसलों को देखा. कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण की बड़ी इकाइयों का भ्रमण किया. किसानों और इंब्रापा के कृषि विशेषज्ञों से चर्चा, उनके सहकारी प्रयासों का अध्ययन किया, और ब्राजील के कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं भारत के राजदूत से संवाद ने कृषि ज्ञान तथा मेरे दृष्टिकोण को और समृद्ध किया.

कृषि अध्ययन टूर का यह 11 दिवसीय आयोजन ब्राजील सरकार के अपेक्स-ब्राज़ील की पहल पर किया गया था और इसमें एम.सी. डोमिनिक, संस्थापक एवं प्रधान संपादक, कृषि जागरण, ध्रुविका सोढ़ी तथा ब्राजील दूतावास समूह का भी विशेष योग रहा. इस यात्रा में मेरे सहयात्री वरिष्ठ पत्रकार संदीप दास, मनीष गुप्ता, चंद्रशेखर और कृषि उद्यमी रत्नम्मा भी शामिल रहे. अपेक्स ब्राजील के अनिरुद्ध शर्मा, एंजेलो मारिसिओ, एड्रिआना, पॉउला सोआरेस, डेब्रा फेइटोसा, डाला कालीगारो, फिलिपे आदि अधिकारियों का इस ऐतिहासिक ब्राज़ील कृषि-भ्रमण कार्यक्रम को सर्वाधिक सफल बनाने में विशेष योगदान रहा है.

ब्राजील का क्षेत्रफल भारत से लगभग ढाई गुना है जबकि जनसंख्या बहुत कम है. पृथ्वी के दो अलग-अलग छोर पर बसे होने के बावजूद, ब्राजील में मैंने भारतीयों के प्रति सर्वत्र मित्रता तथा सौहार्द का भाव पाया जो कि एक उत्साहवर्धक स्थित है. भारत और ब्राजील, दोनों देश कृषि उत्पादन में अग्रणी हैं. इनकी समानताएं और विशिष्टताएं इस बात का संकेत देती हैं कि यदि ये परस्पर सहयोग करें, तो दोनों देशों की कृषि को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है.

अपेक्स ब्राजील की डायरेक्टर श्रीमती डार्ला को भारत की कोसा सिल्क की शाल भेंट करते हुए डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी, फोटो साभार: कृषि जागरण

भारत और ब्राजील की कृषि: तुलनात्मक दृष्टि

भारत:-

कृषि प्रधान देश: लगभग 50% जनसंख्या कृषि पर निर्भर. प्रमुख फसलें: चावल, गेहूं, गन्ना, दलहन, तिलहन, और मसाले.
पशुधन: भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है.
2024 के आंकड़े: भारत ने 51 अरब डॉलर का कृषि निर्यात किया.
चुनौतियां: मानसून पर निर्भरता और छोटे किसानों की सीमित संसाधन क्षमता.

ब्राजील:-

वैश्विक कृषि निर्यातक: कृषि क्षेत्र का 25% योगदान.
प्रमुख फसलें: सोयाबीन, कॉफी, गन्ना, मक्का, और संतरे.
पशुधन: ब्राजील विश्व का प्रमुख मांस निर्यातक है.
2024 के आंकड़े: कृषि निर्यात 150 अरब डॉलर के पार.
विशेषता: प्रभावी कृषि शोध, सहकारिता आधारित बड़े फार्म, मशीनीकरण, और इथेनॉल उत्पादन में अग्रणी.

ब्राजील कृषि-यात्रा से सीखे गए सबक:

ब्राजील की प्रयोगशालाओं में उन्नत बीजों, पौधों तकनीकों का तीव्र विकास हुआ है, पर उससे भी बड़ी बात यह है कि वह सारे उन्नत बीज और नई तकनीकें उनके अधिकांश खेतों तक पहुंच गई हैं. बड किसानों द्वारा उन्नत बीजों तथा नई तकनीकों का खेतों पर व्यापक प्रयोग देखकर यह स्पष्ट हुआ कि भारत भी अपने किसानों को इन्हीं तकनीकों से सशक्त बना सकता है. इसके लिए हमें अपने प्रयोगशालाओं तथा किसानों और खेतों की बीच की खाई को पाटना होगा.

ब्राजील में भारत के राजदूत सुरेश रेड्डी जी से भारत और ब्राजील की कृषि सहयोग की संभावनाओं पर विशेष बैठक, फोटो साभार: कृषि जागरण

उनकी सफल सहकारिता, मशीनीकरण और स्मार्ट तकनीकों का उपयोग प्रेरणादायक था. वहीं, भारत की जैविक खेती, उच्च लाभदायक मेडिसिनल और एरोमेटिक प्लांट्स, हर्बल्स, स्टीविया एवं काली मिर्च  जैसी उच्च लाभदायक फसलों की खेती तथा बहुस्तरीय खेती के ज्ञान एवं विशेष रूप पाली हाउस के विकल्प के रूप में वृक्षारोपण द्वारा बनाए गए 'नेचुरल ग्रीनहाउस' ने ब्राजील के विशेषज्ञों में विशेष रुचि पैदा की.

"इंडो ब्राज़ील चेंबर ऑफ कॉमर्स" की शीर्ष बैठक संबोधित करते हुए एमफओआई MFOI Awards 2023 के "रिचेस्ट फॉर्म ऑफ़ इंडिया अवार्डी" डॉ. राजाराम त्रिपाठी, फोटो साभार: कृषि जागरण

सहयोग के संभावित क्षेत्र:

1. पशुधन प्रबंधन: ब्राजील ने भारत की गिर जैसी देसी नस्लों की गायों का आयात करके उन पर काफी शोध कार्य करते हुए उनकी और भी नई प्रजातियों का विकास किया है. वहां की संस्था 'एबीसीजेड' का गिर नस्ल की गायों पर किया गया कार्य उल्लेखनीय है.

ब्राजील का पशुधन प्रबंधन और मांस उत्पादन तकनीक भारत के लिए उपयोगी हो सकती है. वहीं, भारत ब्राजील को दुग्ध-उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग दे सकता है.

2. कपास और गन्ना:

ब्राजील गन्ने से इथेनॉल उत्पादन में अग्रणी है. भारत, अपने गन्ना उत्पादकों को इस तकनीक से जोड़कर ऊर्जा उत्पादन बढ़ा सकता है. भारत के कपास उगाने वाले किसान इन दिनों कई तरह की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं. इन किसानों को ब्राजील के बड़े पैमाने पर कपास उत्पादन की लाभकारी तकनीकों से फायदा मिल सकता है.

3. सोयाबीन और दलहन: ब्राजील की सोयाबीन तथा अन्य बीन्स उत्पादन तकनीक भारत के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में संभावनाएं खोल सकती है. देखनी है कि ब्राजील तुअर यानी अरहर की खेती विशेष रूप से भारत के लिए ही करता है और वहां अरहर का उत्पादन भारत के उत्पादन से लगभग ढाई गुना तक है. प्रोटीन के लिए मुख्य रूप से दालों पर निर्भर भारत जैसे शाकाहारी देश के लिए बींस तथा दलों के क्षेत्र में ब्राजील के साथ हर स्तर पर सहयोग लाभकारी होगा.

4. जैव ऊर्जा: ब्राजील का इथेनॉल और जैव ईंधन उत्पादन, भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकता है. वहीं भारत की पारंपरिक टिकाऊ तथा पर्यावरण हितैषी कृषि विधियां ब्राजील को सतत विकास में सहयोग दे सकती है.

सहयोग के लाभ:-

  • आर्थिक उन्नति:- कृषि व्यापार बढ़ने से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी.

  • खाद्य सुरक्षा:- फसल उत्पादन और विविधता में वृद्धि से खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी.

  • तकनीकी प्रगति:- ब्राजील से मशीनीकरण और तकनीक लाकर भारत अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा सकता है.

  • वैश्विक नेतृत्व:- संयुक्त अनुसंधान और सहयोग से दोनों देश जलवायु परिवर्तन और खाद्य संकट से निपटने में विश्व का नेतृत्व कर सकते हैं.

ब्राजील यात्रा की उपलब्धियां और अनुभव

किसानों से संवाद: किसानों ने बताया कि कैसे बड़े पैमाने पर खेती और सहकारी संस्थाएं उनके जीवन को बेहतर बना रही हैं.

अधिकारियों से चर्चा: कृषि मंत्री और सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने भारत के साथ दीर्घकालिक सहयोग की रुचि व्यक्त की.

राजदूत से संवाद: भारत के सफल राजदूत सुरेश रेड्डी ने दोनों देशों के बीच कृषि व्यापार को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता के साथ ही माना कि दोनों देशों को अपने देश के प्रगतिशील किसानों के दलों को एक दूसरे के यहां 'कृषि स्टडी टूर' पर नियमित रूप से भेजा जाना चाहिए.

चुनौतियां और समाधान-

  1. भाषा और सांस्कृतिक भिन्नता: नियमित संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दूरी कम की जा सकती है.

  2. तकनीकी लागत: भारत में स्थानीय परंपरागत तकनीकों का विकास कर इसे सस्ता बनाया जा सकता है.

  3. नीतिगत अंतर: जी-20, ब्रिक्स के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौतों और व्यापारिक गठबंधनों से इस अंतर को कम किया जा सकता है.

भारत और ब्राजील, कृषि क्षेत्र में परस्पर सहयोग से न केवल अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत बना सकते हैं, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं. मेरी इस यात्रा का अनुभव यह दिखाता है कि दोनों देशों के पास एक-दूसरे से सीखने और सिखाने की अपार संभावनाएं हैं.

      अंत में, कहा गया है कि "जहां चाह, वहां राह !" दोनों देशों के बीच यह सहयोग वैश्विक कृषि का भविष्य बदल सकता है. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भारत और ब्राजील दोनों मिलकर पूरे विश्व का पेट भर सकते हैं. इसलिए भारत और ब्राजील एक नैसर्गिक मित्र तथा स्वाभाविक साझेदार हैं. जरूरत है इस साझेदारी एवं मित्रता के पौधे के विकास हेतु इसे समय-समय पर नियमित रूप से खाद-पानी देते रहने कि और यह जिम्मेदारी दोनों देश दूतावासों को सरकारों को  तथा दोनों देश की जनता को मिलजुल कर एकजुटता के साथ निभानी चाहिए.

English Summary: India-Brazil Agricultural Partnership : Paving the Way for Global Food Security
Published on: 09 January 2025, 05:51 PM IST

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