नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद के अनुसार, कृषि भारत की विकास रणनीति का एक प्रमुख क्षेत्र रहा है, जिसने 2016-17 से 2022-23 तक सात वर्षों में कृषि क्षेत्र में 5 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर हासिल की है. कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICAE) में बोलते हुए चंद ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले दशक में वैश्विक स्तर पर कृषि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सबसे अधिक वृद्धि दर हासिल की है. उन्होंने कहा, "कृषि ऐतिहासिक रूप से भारत में विकास रणनीति का एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है, और देश ने 2016-17 से 2022-23 तक की सात साल की अवधि के दौरान 5 प्रतिशत की उच्चतम वृद्धि दर हासिल की है."
कृषि अर्थशास्त्री चंद ने बताया कि विश्व जीडीपी में कृषि का हिस्सा 2006 में 3.2 प्रतिशत से बढ़कर हाल के वर्षों में 4.3 प्रतिशत हो गया है. उन्होंने कहा, "पिछले 15 वर्षों में कृषि विकास ने कई देशों को आर्थिक पतन से बचाया है. कृषि से श्रम शक्ति को बाहर निकालने में उद्योग के खराब प्रयासों के कारण, बड़े कार्यबल के लिए लाभकारी रोजगार का दायित्व अभी भी कृषि पर बना हुआ है."
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि में हाल की उपलब्धियाँ और अवसर भारत और दुनिया के भविष्य के विकास में कृषि की और भी बड़ी भूमिका दर्शाते हैं. चंद ने कहा, "इन सभी चुनौतियों के कारण आर्थिक और मानव विकास में कृषि की भूमिका को नए सिरे से समझना और सभी स्तरों पर कृषि पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (ICAE) का उद्घाटन किया, जो 65 वर्षों के बाद भारत में इसकी वापसी का प्रतीक है. अंतरराष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्रियों के संघ द्वारा आयोजित छह दिवसीय त्रिवार्षिक सम्मेलन का विषय "स्थायी कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर परिवर्तन" है.
इस सम्मेलन में लगभग 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि भाग लेंगे. इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, बढ़ती उत्पादन लागत और संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर टिकाऊ कृषि की तत्काल आवश्यकता को संबोधित करना है. सम्मेलन में वैश्विक कृषि चुनौतियों के प्रति भारत के सक्रिय दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला जाएगा और कृषि अनुसंधान और नीति में देश की प्रगति को प्रदर्शित किया जाएगा.