केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ ही दुनिया के बड़े हिस्से की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता भी है. भविष्य की जरूरतों व चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक योजनाओं के साथ देश आगे बढ़ रहा है. उच्च खाद्यान्न उत्पादन बनाए रखने के लिए उत्पादकता बढ़ाना जरूरी है, इसके लिए भी देश सचेत है.
उन्होंने कहा कि खेती में तकनीक का समावेश करते हुए किसानों तक पहुंच बढ़ाने व सिंचाई व्यवस्था से कृषि की लागत कम की जा सकेगी और उत्पादन और उत्पादकता को भी हम बढ़ा सकेंगे. इसके साथ ही, किसानों की आय बढ़ती रहे और देश-दुनिया की खाद्य सुरक्षा में हमारा योगदान बना रहे, इसे भी सुनिश्चित कर सकेंगे. इस दिशा में पूर्ण सफलता के लिए सभी का सहयोग जरूरी है.
केंद्रीय मंत्री तोमर ने यह बात भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा आयोजित लीड्स-2022 कांफ्रेंस में कही. फूड फॉर ऑल: फार्म टू फोर्क, विषयक सत्र में तोमर ने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद, भारत के कृषि क्षेत्र ने 3.9% की विकास दर की महत्वपूर्ण उपलब्धि देखी है. साथ ही, हमारे कृषि निर्यात ने 4 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया, जिसे हमें बढ़ाते जाना है.
तोमर ने कहा कि वर्ष 2050 तक विश्व की जनसंख्या 900 करोड़ से ज्यादा होने के अनुमान के साथ, आहार की मांग में तेजी से वृद्धि होगी, जिससे कृषि उद्देश्यों, पशुओं के लिए चराई भूमि और उर्वरक तथा आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के लिए भूमि की अधिक आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कृषि को प्राथमिकता दिए जाने के साथ देश में हाल के वर्षों में कृषि का काफी विस्तार हुआ है और हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े खाद्य उत्पादक देश के रूप में उभरे हैं. भारत का भूगोल, जलवायु व मिट्टी बहुत विविध हैं, इसलिए यह स्वाभाविक रूप से कृषि वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन करने में उत्कृष्ट हैं. तोमर ने कहा कि हम किसी भी अन्य राष्ट्र की तुलना में अधिक फसलें उगाते हैं. विश्व में सर्वाधिक फसल सघनता भारत में है. चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारत का वर्ष 2021-22 में 315.72 मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन है.
तोमर ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सरकार लगातार देश के छोटे किसानों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही है. इस दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, ताकि खेती-किसानी की चुनौतियों को कम किया जा सके और किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके. इसके साथ ही, भारत कृषि क्षेत्र में दुनिया में नंबर 1 बनने की यात्रा पर तेजी से चल रहा है. उन्होंने कहा कि सिंचाई प्रणाली, भंडारण व कोल्ड स्टोरेज सहित कृषि के बुनियादी ढांचे में निवेश में वृद्धि के कारण, आने वाले वर्षों में भारत में कृषि उद्योग को और गति मिलने की उम्मीद है. इसके अतिरिक्त, आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के बढ़ते उपयोग से भारतीय किसानों की पैदावार में वृद्धि होने की भी उम्मीद है. तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत, केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक मत्स्य पालन क्षेत्र में 70 हजार करोड़ रु. से ज्यादा का निवेश करना है. सरकार को 2024-2025 तक मछली उत्पादन 220 लाख टन तक बढ़ाने की उम्मीद है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगले 6 वर्षों में 10,900 करोड़ रु. के प्रोत्साहन के साथ खाद्य प्रसंस्करण के लिए पीएलआई योजना क्रियान्वित की जा रही है, वहीं कृषि उड़ान योजना के तहत हवाई परिवहन द्वारा कृषि-उत्पादों की आवाजाही के लिए सहायता-प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है, जो पूर्वोत्तर व आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष लाभदायी है. इससे किसानों, फ्रेट फारवर्डर्स व एयरलाइंस को लाभ हो रहा है. डिजिटल एग्री मिशन भी शुरू किया गया है. तकनीक से पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे किसानों को सारी योजनाओं का पूरा लाभ मिलेगा. ड्रोन टेक्नोलॉजी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. खेती में टेक्नोलॉजी व पारदर्शिता जितनी बढ़ेगी, उतना लाभ होगा. तोमर ने कहा कि 11 हजार करोड़ रु. के खर्च से राष्ट्रीय आयल पाम मिशन शुरू किया गया है, साथ ही जैविक व प्राकृतिक खेती को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है. अगले साल अंतरराष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष भारत की अगुवाई में मनाया जाएगा, जिसकी तैयारियां जोरों पर है.
कांफ्रेंस में न्यूजीलैंड के व्यापार और निर्यात विकास, कृषि, जैव सुरक्षा, भूमि सूचना और ग्रामीण समुदाय मंत्री डेमियन ओ'कॉनर तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधि व अन्य लोग उपस्थित थे.