यकीन मानिए, जैसा प्लान किया गया है, अगर ठीक वैसा ही होता गया तो गन्ना किसानों की बदहाली गुजरे जमाने की बात हो जाएगी. गन्ना किसानों की दुश्वारियां अतीती इबारत बनकर किसी कैदखाने खाने में कैद हो जाएगी. गन्ना किसानों की बदहाली हमेशा से दिल पसीज देने वाली रही है, लेकिन अफसोस शासन-प्रशासन की सक्रियता के अभाव में आज तक गन्ना किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखा है, लेकिन अब लगता है कि शासन जाग गया है, प्रशासन एक्टिव हो चुका है.
दरअसल, भारत सरकार ने 7 मिलयन टन चीनी के निर्यात को बढ़ाने का फैसला किया है. इसके पहले 6 मिलयन टन चीनी निर्यात किया जा चुका है. इन फैसलों से गन्ना किसानों के भुगतान में तेजी आई है. माना जा रहा है कि इस बार अत्याधिक मात्रा में गन्ना की पैदावार हुई है, जिसके परिणामस्वरूप चीनी के निर्यात को बढ़ाने का फैसला किया गया है. आइए, इस लेख में आगे सरकार के इस फैसले के बारे में तफसील से जानते हैं.
पढ़िए उपभोक्ता मंत्रालय का बयान
उपभोक्ता व खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी किए आंकड़ों के मुताबिक, विगत वर्ष सितंबर में चीनी मिलों ने 91 हजार करोड़ रूपए का गन्ना खरीदा था. वहीं, अब तक चीनी मिलों द्वारा 90 हजार 872 करोड़ रूपए का गन्ना किसानों से खरीदा जा चुका है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से गन्ना किसानों की बदहाली में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है. पिछले सीजन में गन्ना किसानों ने 75 हजार 845 रूपए का गन्ना खरीदा था, लेकिन इस वर्ष गन्ना किसानों का भुगतान में तेजी आई है.
गन्ना किसानों की स्थिति में सुधार
पहले जहां गन्ना किसानों को अपनी रकम लेने के लिए दर-दर भटकना पड़ता था, लेकिन इस बार उनके भुगतान में तेजी आई है. आइए, इस लेख में आगे विस्तार से जानते हैं कि आखिर इस बार गन्ना किसानों के भुगतान में तेजी क्यों आई है? किसानों की बदहाली में काफी सुधार आया है. इसके पीछे की वजह यह है कि गन्ना के निर्यात में वृद्धि आई है और विगत कुछ वर्षों से जिस तरह गन्ने से एथोनॉल बनाने में तेजी आई है, उससे गन्ना किसानों की स्थिति में सुधार आया है.
हालांकि, इससे पहले भी सरकार की तरफ से कई गन्ना किसानों के बेहतरी के लिए उठाए गए हैं, लेकिन अफसोस आज तक उनकी स्थिति में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं दिखा, लेकिन इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि जब से गन्ने से एथोनॉल बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई है, तब से आप बस इतना ही समझ लीजिए कि गन्ना किसानों की लॉटरी लग गई.