भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में 21-23 फरवरी तक चलने वाले तीन दिवसीय 24वां स्थापना दिवस सह कृषि मेला एवं जन जातीय किसान सम्मेलन समारोह का उद्घाटन किया गया. इस समारोह में उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल, बिहार ने विधिवत दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की एवं संस्थान के सभी कर्मचारियों को बधाई दी. उन्होंने अपने संबोधन में किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील करते हुए कहा कि ज्यादा रासायनिक खेती से हमारी मिट्टी एवं पर्यावरण दूषित हो रही है, इसलिए हमें अपने पूर्वजों की तरह प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए. इससे न सिर्फ खेती की लागत कम होती है बल्कि उत्पादन भी काफी बढ़ जाती है.
उन्होंने वर्ष 2047 तक विकसित भारत की कल्पना को साकार करने के लिए देश के हर किसान को विकसित करने का आह्वान किया. साथ ही उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से इस विषय पर शोध कार्य करने के लिये कहा.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) डॉ. सुरेश कुमार चौधरी ने जलवायु अनुकूल खेती की तकनीक को अपनाने पर बल दिया. साथ ही, उन्होंने परिषद के विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए जा रहे अनुसंधान एवं विस्तार कार्य के बारे में जानकारी दी. विशिष्ट अतिथि डॉ रामेश्वर सिंह, कुलपति,बिहारपशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना ने अपने संबोधन में कहा कि किसानो की आय बढाने के लिये फसल विविधीकरण तथा समेकित कृषि प्रणाली अपनाना जरूरी है. साथ ही रसायनिक उर्वरको का विवेकपुर्ण उपयोग होना चहिये.
इससे पहले संस्थान के निदेशक डॉ. अनुप दास ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की उपलब्धियां के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी. उन्होंने अपने संबोधन में संस्थान द्वारा विकसित धान, सब्जियों, फलों के किस्मों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तकनीकों के बारे में जानकारी दी. कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. उज्ज्वल कुमार ने इस अवसर पर आदि को धन्यवाद ज्ञापित किया.
उप महानिदेशक डॉ. चौधरी ने “स्थायी विकास लक्ष्य प्राप्त करने हेतु अनुकूल मृदा एवं जल प्रबंधन” विषय पर स्थापना दिवस व्याख्यान दिया. जिसमें भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने के लिये कृषि के महत्व को दर्शाते हुए उन्होंने बताया कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने वाली तकनीकी अपनाते हुए हमें आगे बढना होगा.
इस कार्यक्रम में आए किसानों, मीडिया कर्मियों एवं संस्थान के उत्कृष्ट कर्मियों तथा सेवानिवृत कर्मियों को भी सम्मानित किया गया. तकनीकी सत्र में डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, अटारी, पटना, डॉ. के. जी. मंडल, निदेशक,एम.जी.आइ.एफ.आर.आइ मोतिहारी, डॉ. बिकास दास, निदेशक, लीची अनुसंधान केंद्र, डॉ. आर. के. जाट, प्रभारी, बीसा एवम अन्य वैज्ञानिकोंनेभाग लिया और अपने विचार रखे.
साथ ही साथ कृषक-वैज्ञानिक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसके द्वारा किसानों ने अपनी समस्याएँ वैज्ञानिकों के बीच रखी जिसके निदान के बारे में अलग-अलग विषय के विशेषज्ञों ने जानकारी दी. किसान मेला में कृषि से संबंधित सरकारी, निजी तथा किसान संगठनों द्वारा लगभग 30 प्रदर्शनी स्टॉल भी लगाए गए, जिसमें मेला में आए कृषक एवं अन्य हितधारकों ने महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की. इस दौरान खेती में ड्रोन तकनीक के उपयोग पर जीवंत प्रदर्शन भी किया गया. विभिन्न राज्यों से आए जनजातीय किसानों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति आज के समारोह का मुख्य आकर्षण रहा.
सात राज्यों के लगभग 600 किसान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न संस्थानों के निदेशकों, आईएआरआई पटना हब के छात्रों एवं मीडिया कर्मियों तथा संस्थान के सेवानिवृत्त कर्मचारियों सहित 1000 लोगो ने इस कार्यक्रम में भाग लिया.