इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित एक पत्रकारवार्ता के अनुसार छत्तीसगढ़ में एक अंतरराष्ट्रीय कृषि मेले का आयोजन होने जा रहा है जिसमें कृषि क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहे 12 देशों के कृषि विज्ञानी, कृषि उद्यमी हिस्सा लेंगे और छत्तीसगढ़ के किसानों से अपने देश की कृषि तकनीक को साझा करेंगे. यही नहीं, इस मेले के माध्यम से छत्तीसगढ़ के स्थानीय किसान और युवा भी बाजार आधारित कृषि, उद्यम आधारित शिक्षा के बारे में जान सकेंगे.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कृषि के बदलते स्वरुप पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस बदलते दौर में कृषि का स्वरुप बदल चुका है, इसलिए हमारे युवा किसानों को बाजार आधारित कृषि और उद्यम आधारित शिक्षा प्राप्त करना की जरूरत है जिसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से अंतरराष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कार्निवाल का आयोजन 14 से 18 अक्टूबर तक विश्वविद्यालय परिसर में किया जा रहा है.
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इस कार्यक्रम में कृषि क्षेत्र में नई तकनीक का प्रयोग और छत्तीसगढ़ के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार देने पर दुनियाभर के कृषि विज्ञानी गहन चर्चा करेंगे, साथ ही इस आयोजन में राज्य शासन के कृषि विभाग, छत्तीसगढ़ बायोटेक्नोलाजी प्रमोशन सोसायटी, नाबार्ड, कंसल्टेटिव ग्रुप आफ इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), एनएबीएल तथा अन्य दूसरी संस्थाएं अपने स्तर पर सहयोग करेंगी.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय कृषि मड़ई एग्री कार्निवाल के उद्घाटन सामारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत होंगे और सामापन सामारोह की मुख्य अतिथि राज्यपाल अनुसुइया उईके होंगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्य के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे के द्वारा की जाएगी. इसके आलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मेले में 16 अक्टूबर को लोगों को संबोधित करेंगे.
गरीब देशों में खाद्य समस्या को सुलझाना है कार्यक्रम का उद्देश्य
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पश्चिमी अफ्रीका व पूर्वी एशिया के 12 देश भुखमरी की समस्या से जूझ रह हैं जिनमें सेसल्स, मेडागास्कर, केन्या, जांबिया, नाइजीरिया, युगांडा, मोजांबिक, तंजानिया, घाना, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल जैसे नाम हमारे सामने आते हैं. इसलिए इस कार्यक्रम में चावल अनुसंधान में अव्वल अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस (इरी) के साथ मिलकर इन देशों में भुखमरी और खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए 12 देशों के कृषि विज्ञानियों को चावल की उन्नत किस्म के विकास की तकनीक सिखाएंगे ताकि वहां चावल का उत्पादन बढ़ाया जा सके और लोगों को भुखमरी के गर्त से बाहर निकाला जा सके.