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Updated on: 4 October, 2023 6:24 PM IST
‘Kisan Gosthi’

चौ. च. सि. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आज 4 अक्टूबर को पी. आई. फाऊंडेशन के सहयोग से सरसों फसल की उन्नत कृषि क्रियाएं विषय पर किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य तौर पर चौ. च. सि. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार तिलहन अनुभाग से डॉ. दलीप कुमार सहायक वैज्ञानिक (कीट), डॉ. राकेश पूनिया, सहायक वैज्ञानिक (पौध रोग) व डॉ. नीरज कुमार, सहायक वैज्ञानिक (प्रजन्न विभाग) ने भाग लिया.  डॉ. नीरज कुमार ने सरसों विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई उन्नत किस्मों जैसे आर.एच.749, आर.एच. 30, आर.एच. 725, आर.एच.1424, आर.एच. 1706, आर.एच. 8812 व आर.एच. 1975 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी. डॉ. . राकेश पूनिया ने सरसों की फसल की विभिन्न बिमारियों जैसे तना गलन, सफेद रतुआ, अंगमारी आदि के लक्षण एवं बचाव के लिये उपाय सुझाये तथा तना गलन की रोकथाम के लिये कार्बेन्डाजिम (बाविस्टिन) 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से सूखा उपचार करने की सलाह दी.

डॉ. दलीप कुमार ने किसानों को सरसों की फसल में धौलिया, चेपा इत्यादि कीटों से बचाव के बारे में अवगत कराया. उन्होंने बताया कि सरसों की बिजाई अगर 15-20 अक्तूबर के बीच की जाये तो पैदावार भी अधिक होगी व आगे मार्च के महीने में तापमान में वृद्धि के कारण कीटों का प्रकोप भी कम रहेगा.

‘किसान गोष्ठी’ में किसानों को मिली कृषि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

पी. आई. फाऊंडेशन के डॉ. दलीप मोंगा ने बताया कि पी आई इंडस्ट्रीज भारत की अग्रणीय कृषि रसायन कंपनियों में से एक है. यह भारत के किसानों को फायदा पहुंचाने के लिये जानी जाती है. इस अवसर पर पी आई फाऊंडेशन की तरफ से उपस्थित किसानों को चार किग्रा बायोविटा खाद निशुल्क दिया गया. उन्होंने बताया कि बायोविटा कार्बनिक रूप में 60 से अधिक प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले प्रमुख और छोटे पोषक तत्व और एंजाइम, प्रोटीन, साइटोकिनिन, अमीनो एसिड, विटामिन, जिबरेलिन, ऑक्सिन, बेटेन आदि से युक्त पौधे विकास पदार्थ प्रदान करता है. उन्होंने किसानों को कपास में गुलाबी सुण्डी के प्रबन्धन पर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पी. आई. फाउंडेशन  पी. बी. नाट तकनीक पर दस जगह किसानों के खेतों प्रदर्शन लगाये हैं जिसके सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं. उन्होंने बताया के पी.बी. नाट समागम प्रक्रिया में बाधा डॉ. लकर गुलाबी सुण्डी को नियंत्रित करता है.

केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. रमेश यादव ने बताया कि जिला महेन्द्रगढ़‌ व दक्षिण-पश्चिम हरियाणा में सरसों रबी मौसम की मुख्य फसल है. डॉ. . यादव ने सरसों की फसल की समग्र सस्य कृषि क्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किसानों को सरसों फसल की में 10 कि.ग्रा. सल्फर, 4 कि.ग्रा. (33%) जिंक सल्फेट प्रति एकड़ की दर से बिजाई से पहले डॉ. लने की सलाह दी.

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केन्द्र के वरिष्ठ कीट वैज्ञानिक डॉ. जयलाल यादव बताया कि किसान मधुमक्खी पालन को अपनाकर सरसों की पैदावार बढ़ा सकते हैं. उन्होंने किसानों को समन्वित कीट प्रबन्धन अपनाकर सरसों की अधिक पैदावार करने के लिये प्रेरित किया. इस अवसर पर केन्द्र के वैज्ञानिकों डॉ. नरेन्द्र यादव, डॉ. पूनम, डॉ. आशीष शिवरान  ने भी अपने विषय से समबन्धित जानकारी दी. इस किसान गोष्ठी में लगभग 250 किसानों व महिला किसानों ने भाग लिया.

चौ. च. सि. हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
कृषि विज्ञान केन्द्र,
महेन्द्रगढ़

English Summary: Improved cultivation of mustard crop Farmer seminar organized Mustard University
Published on: 04 October 2023, 06:30 PM IST

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