जल के बिना कृषि के वजूद की कल्पना करना मूर्खता ही होगी. जल व कृषि एक-दूसरे के पूरक हैं. वहीं, विगत कुछ वर्षों में जिस तरह से कृषि क्षेत्र में जल का अभाव देखने को मिल रहा है, अलबत्ता यह चिंता का सबब है. अगर समय रहते मुनासिब कदम नहीं उठाए गए, तो यकीनन यह स्थिति विकराल रूख धारण कर सकती है.
इन्हीं सब आशंकाओं के दृष्टिगत पंजाब सरकार ने गिरते जलस्तर को बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. प्रदेश सरकार ने धान उगाने वाले किसानों को ‘सीधी बिजाई’ के जरिए धान उगाने का सुझाव दिया है, जिसमें केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार के संग अपनी हामी भरी है.प्रदेश सरकार ने किसानों की समस्या को ध्यान में रखते हुए आगामी 2 जून तक 12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई ‘सीधी बिजाई’ के माध्यम से करने का लक्ष्य रखा है.इस दिशा में कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी हमारे किसान भाइयों की भरपूर मदद कर रहे हैं. इस विधि की ओर किसानों का रूझान भी काफी तेजी से बढ़ रहा है.
प्रदेश की सबसे विकट समस्या है गिरता जलस्तर (The most Critical Problem of the State is the Falling Water Level)
सर्वविदित है कि पंजाब के किसानों के लिए हमेशा से ही गिरता जलस्तर समस्या का सबब रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, एक किलोधान उगाने में किसान भाइयों को कम से कम 17 लीटर पानी खर्च होता है, जिसके चलते प्रदेश का जलस्तर काफी गिर चुका है. वहीं, अब प्रदेश का गिरता जलस्तर किसान भाइयों के लिए चिंता का सबब बन चुका है, जिससे निजात दिलाने के लिए लगातार पंजाब सरकार समेत केंद्र सरकार किसान भाइयों की मदद करने में जुट चुके हैं.
ट्यूबवेल पर भी लगेगी लगाम (Tube Well will also be Controlled)
इस विधि से धान की खेती करने में एक ओर जहां जल का उपभोग कम करना पड़ेगा, तो वहीं प्रदेश के किसानों को ट्यूबवेल का इस्तेमाल भी कम से कम करना पड़ेगा, जिससे लगातार बढ़ रहे ट्यूबवेल के इस्तेमाल पर विराम लगाई जा सकेगी और जल के बढ़ते उपयोग को कम किया जा सकेगा. खैर, अब देखना यह होगा कि केंद्र व राज्य सरकर की इस पहल का प्रदेश के किसानों पर क्या कुछ असर पड़ता है.