US Apples Import: इसी साल सितंबर में भारत द्वारा अमेरिकी सेब पर "प्रतिशोधात्मक आयात शुल्क" हटाने के बाद, अमेरिकी सेब का आयात तीन महीनों में 40 गुना तक बढ़ गया है, जबकि व्यापारियों को बाजार हिस्सेदारी फिर से हासिल करने की उम्मीद है. वर्ष 2017-18 में अमेरिकी सेब का आयात 7 मिलियन बक्स रिकॉर्ड किया गया था, जो 2022-23 (सितंबर-अगस्त) सीजन में घटकर 50 हजार बक्स रह गया था.
बिजनेस लाइन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को नई दिल्ली में एक प्रमोशनल कार्यक्रम में वाशिंगटन ऐप्पल कमीशन के देश प्रतिनिधि सुमित सरन ने कहा,"हमें अपनी बाजार हिस्सेदारी फिर से हासिल करने की उम्मीद है. महानगरों के अलावा, हम टियर I और टियर II शहरों में बहुत अधिक बिक्री करते हैं. जब भारतीय उत्पादन बाजार में होता है तो हम प्रचार नहीं करते. हम जनवरी तक घरेलू उत्पादन समाप्त होने तक इंतजार करते हैं ताकि हमारा उत्पाद फरवरी से हो सके." बता दें कि भारत में अमेरिकी सेब की मुख्य बिक्री अवधि जुलाई तक जारी रहती है.
कितना बढ़ा अमेरिकी सेब का आयात?
सरन ने कहा कि अमेरिकी सरकार के भारतीयों पर उच्च आयात कर की धारा 232 के प्रतिशोध में 2019 में लगाए गए 50 प्रतिशत के मूल आयात शुल्क के अलावा 20 प्रतिशत के अतिरिक्त "प्रतिशोधात्मक टैरिफ" के कारण वाशिंगटन सेब भारतीय बाजार से बाहर हो गया था. हालांकि भारत ने इस साल सितंबर में इस शुल्क को हटा लिया था, जिसके बाद वहां के सेबों का आयात बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि वाशिंगटन सेब की गैर-मौजूदगी ने व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए एक शून्य पैदा कर दिया था, लेकिन अब इसका आयात बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा प्रतिशोध शुल्क हटाने के बाद से 1 सितंबर से 30 नवंबर के बीच 440,000 बक्स (प्रति बाक्स 20 किलोग्राम) आयात किए गए हैं. जबकि एक साल पहले की अवधि में केवल 10,000 बक्स आयात किए गए थे. उन्होंने कहा कि पूरे 2022-23 (सितंबर-अगस्त) में भारत ने अमेरिका से 50,000 बक्स सेब का आयात किया था, जबकि अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने से पहले, भारत द्वारा वार्षिक आयात लगभग 5 मिलियन बक्स था.
इस वजह से लगाया था प्रतिशोध शुल्क
बता दें कि 2019 में भारत ने अमेरिका के सेब और अखरोट के आयात पर 20-20 प्रतिशत और बादाम पर प्रति किलोग्राम 20 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगाया था. भारत ने यह निर्णय तब लिया था जब अमेरिका की सरकार ने हमारे कुछ विशेष स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर अपने यहां शुल्क बढ़ा दिया था. भारत के इस कदम से अमेरिका को भारतीय बाजार में तगड़ा झटका लगा था. भारत में अमेरिका के सेब और अखरोट शेयर पर अन्य देशों का कब्जा होने लगा था. हालांकि, इसी साल सिंतबर में भारत सरकार ने ये फैसला वापस ले लिया था, क्योंकि अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों की पहुंच को अपने बाजार में स्वीकार कर लिया था.