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Updated on: 28 December, 2023 3:52 PM IST
बासमती चावल की कीमतें में गिरावट.

लाल सागर में व्यापारिक जहाजों पर आतंकवादी हमलों के कारण बासमती चावल के निर्यात में गिरावट आई है, जिससे घरेलू बाजार में बासमती की कीमतें 5-10% कम हो गई हैं. इतना ही नहीं हूती समूह के हमलों के बीच प्रमुख शिपिंग लाइनों के स्वेज नहर मार्ग से बचने के फैसले ने रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल के आयात को भी प्रभावित किया है. व्यापार के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि स्थानीय बाजार में सूरजमुखी तेल की कीमतें 3-4% बढ़ने की संभावना है, क्योंकि पिछले एक सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय कीमतें 30 डॉलर प्रति टन बढ़कर 940 डॉलर प्रति टन हो गई हैं.

इकोनॉमिक्स टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, बासमती निर्यातकों ने कहा है कि निर्यात बाजार सुस्त हो गया है और कुछ मामलों में जेद्दा, यमन, बेरूत और डरबन जैसी जगहों पर शिपिंग लागत कई गुना बढ़ गई है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा, ''इस मालभाड़े में बढ़ोतरी के कारण खरीदार इस बार माल नहीं ले रहे हैं. परिणामस्वरूप, घरेलू बाजार में अब बासमती चावल की कीमतें गिर गई हैं."

भारत सालाना 4-4.5 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात करता है. खाड़ी देश सबसे बड़े खरीदार हैं, जो देश के बासमती निर्यात का लगभग 80% हिस्सा हैं. जबकि मेर्स्क ने कहा है कि वह लाल सागर मार्ग में परिचालन फिर से शुरू करेगा, निर्यातकों का कहना है कि शिपिंग लाइन ने अभी तक यह घोषित नहीं किया है कि वह परिचालन कब शुरू करेगी. सूरजमुखी तेल आयातकों ने कहा कि आयात मूल्य 30 डॉलर प्रति टन बढ़ गया है, जिसका असर सूरजमुखी तेल की घरेलू कीमतों पर पड़ेगा.

खाद्य तेल आयातक सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने कहा, इसके अलावा, अगर सूरजमुखी तेल के आयात को अन्य मार्गों से मोड़ दिया जाता है, तो रूस-यूक्रेन क्षेत्र से आगमन का समय 28 दिनों के बजाय 40 दिन हो जाएगा. हालांकि भारतीय बाजारों में खाद्य तेलों की अच्छी आपूर्ति है, लेकिन आयातित तेल में देरी और मूल्य वृद्धि का बोझ खाद्य तेल कंपनियों को उपभोक्ताओं पर डालना होगा.

English Summary: Impact of terrorist attacks in the Red Sea decline in exports of Basmati rice domestic prices decreased
Published on: 28 December 2023, 03:53 PM IST

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