खरीफ की 14 फसलों की MSP में बढ़ोतरी, सरकार ने मंजूर किए 2,07,000 करोड़ रुपये खुशखबरी! इन किसानों को राज्य सरकार देगी प्रति हेक्टेयर 18,375 रुपए अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन कीटों और पशुओं से फसल को मिलेगी डबल सुरक्षा, राज्य सरकार दे रही 75% अनुदान, जानें कैसे उठाएं लाभ किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 27 May, 2025 3:12 PM IST
Solar Panel से बिजली उत्पादन 30% बढ़ा, लागत घटकर केवल 1 रुपए प्रति यूनिट! (सांकेतिक तस्वीर)

इस महंगाई के दौर में बढ़ते बिजली बिलों से आज हर कोई परेशान है, चाहे वह अमीर हो या गरीब व्यक्ति हो. देखा जाए तो गर्मियों के दिनों में एसी और फ्रिज बिजली की खपत बढ़ा देते हैं तो वहीं, सर्दियों में हीटर से मीटर काफी तेज चलता है. आम जनता की इस परेशानी को देखते हुए IIT बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने ऐसा ही एक चमत्कार कर दिखाया है. उन्होंने "टैंडम सोलर सेल" नाम की नई तकनीक विकसित की है, जो परंपरागत सोलर पैनलों की तुलना में 25-30% ज्यादा बिजली बना सकती है. जहां आज के सोलर पैनल 20% बिजली ही बना पाते हैं, वहीं IIT बॉम्बे की यह नई तकनीक 30% तक बिजली पैदा कर सकती है.

आइए आज के इस आर्टिकल में हम "टैंडम सोलर सेल" के बारे में हर एक डिटेल जानते हैं ताकि आम जनता इसका लाभ सरलता से उठा सकें.

इस नई तकनीक से बिजली सस्ती, उत्पादन ज़्यादा

IIT बॉम्बे की इस तकनीक से सोलर बिजली की कीमत भी घटेगी. जहां अभी एक यूनिट बिजली 2.5 से 4 रुपये तक पड़ती है, वहीं टैंडम सोलर सेल से बनी बिजली की लागत सिर्फ 1 रुपए प्रति यूनिट हो सकती है. यानी कम खर्च में ज्यादा बिजली मिलेगी. इस सोलर सेल की खास बात यह है कि इसमें जो मटेरियल इस्तेमाल होता है, वह भारत में ही उपलब्ध है. पहले हमें चीन जैसे देशों से ये मटेरियल मंगवाना पड़ता था, लेकिन अब भारत खुद आत्मनिर्भर बनेगा. टैंडम सोलर सेल में ऊपर की परत में हेलाइड पेरोव्स्काइट नाम का खास पदार्थ लगाया गया है, जो कम रोशनी में भी अच्छी बिजली बनाता है. नीचे की परत में पारंपरिक सिलिकॉन है. दोनों मिलकर बिजली बनाने की क्षमता को काफी बढ़ा देते हैं.

10 साल तक टिकेगा नया सोलर सेल

पहले पेरोव्स्काइट की उम्र कम मानी जाती थी, लेकिन IIT बॉम्बे की टीम ने कड़ी मेहनत से इसे 10 साल तक टिकाऊ बना दिया है. यह भी इस खोज की एक बड़ी उपलब्धि है. अब इस तकनीक को आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी IIT बॉम्बे से जुड़े स्टार्टअप ART-PV इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और महाराष्ट्र सरकार ने मिलकर उठाई है. मिली जानकारी के मुताबिक, इनका लक्ष्य है कि दिसंबर 2027 तक इसे बाजार में उतारा दिया जाए.

छत, गाड़ी, दीवार-हर जगह लगेगा पैनल

यह सोलर तकनीक सिर्फ खेतों या प्लांट्स तक सीमित नहीं रहेगी. इसे घर की छत, गाड़ियों की छत और यहां तक कि इमारतों की दीवारों पर भी लगाया जा सकेगा. यानी कम जगह में ज्यादा बिजली और ज्यादा बचत होगी.

ग्रीन हाइड्रोजन भी बनेगा

IIT बॉम्बे और महाराष्ट्र सरकार इस तकनीक का इस्तेमाल ग्रीन हाइड्रोजन बनाने में भी करेंगे. यह पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा का भविष्य है और भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम भी.

English Summary: IIT Bombay new discovery solar panels produce 30 percentage electricity cost reduced to just 1 rupees per unit
Published on: 27 May 2025, 03:16 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now