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Updated on: 5 March, 2025 11:20 AM IST
Union Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को राजस्थान स्थित जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किसान मेले में भाग लिया और वहां मौजूद छात्र-छात्राओं व किसानों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि किसानों से मिलकर वे बेहद प्रसन्न हैं, क्योंकि वे स्वयं भी एक किसान परिवार से आते हैं और खेती को जीवन का आधार मानते हैं. चौहान ने बताया कि वे हर महीने अपने खेतों में जाकर खेती का कार्य करते हैं, जिससे उन्हें कृषि की समस्याओं और जरूरतों को समझने में मदद मिलती है.

उन्होंने किसानों को देश की आत्मा बताते हुए कहा कि उनकी सेवा करना भगवान की पूजा करने के समान है. चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और जब तक देश में कृषि मजबूत रहेगी, तब तक देश की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ बनी रहेगी. उन्होंने किसानों की मेहनत को सलाम करते हुए कहा कि कृषि सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि जीवन की आधारशिला है, जो पूरे देश को पोषण और समृद्धि प्रदान करती है.

किसानों के हित में सरकार के प्रयास

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि यदि किसी किसान की फसल खराब होती है, तो बीमा कंपनियों को उन्हें मुआवजा देना ही होगा.

उन्होंने कहा कि किसान मेहनत करता है, लेकिन कई बार प्राकृतिक आपदाओं की वजह से उसकी फसल बर्बाद हो जाती है. ऐसे में सरकार किसानों के साथ खड़ी है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत उन्हें हरसंभव सुरक्षा दी जा रही है.

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सर्वे रिपोर्ट आने के बाद निश्चित समय सीमा में किसान के खाते में मुआवजा राशि पहुंचनी चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता है, तो बीमा कंपनियों को 12% ब्याज सहित राशि जमा करनी होगी.

उन्होंने आगे कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जा रही है.

इसके अलावा कृषि मशीनरी पर सब्सिडी, सस्ते ऋण, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता किसानों की आमदनी को दोगुना करने की है, और इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं.

विविधीकरण और प्राकृतिक खेती पर जोर

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि परंपरागत फसलों से ही कृषि का भला नहीं होगा, बल्कि किसानों को विविधीकरण और इंटरक्रॉपिंग अपनानी होगी. उन्होंने जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की, जिससे किसानों को लाभ हो सकता है.

उन्होंने कहा कि यदि किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ औषधीय पौधों, बागवानी, पशुपालन और मत्स्य पालन को भी अपनाएं, तो उनकी आय में कई गुना वृद्धि हो सकती है.

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक और जैविक खेती आज की आवश्यकता बन चुकी है, क्योंकि अत्यधिक उर्वरकों और रसायनों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता घट रही है और मित्र कीट समाप्त हो रहे हैं. जैविक खेती से किसानों को लागत कम करने और अधिक मुनाफा कमाने में मदद मिलेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने प्राकृतिक कृषि मिशन की शुरुआत की है, जिसके तहत किसानों को रासायनिक खाद और कीटनाशकों के बजाय जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों और परंपरागत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

कृषि और वैज्ञानिकों का सहयोग आवश्यक

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों, वैज्ञानिकों और किसानों के बीच मजबूत संबंध होने चाहिए. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचे, ताकि वे नई तकनीकों को अपनाकर अपनी कृषि उत्पादकता बढ़ा सकें.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को किसानों के साथ मिलकर अनुसंधान करना चाहिए और उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए समाधान निकालने चाहिए.

उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचार से ही किसानों की स्थिति सुधर सकती है. आधुनिक कृषि उपकरणों, स्मार्ट फार्मिंग, सटीक कृषि और जलवायु अनुकूलन तकनीकों को अपनाने से किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर लाभ मिलेगा.

उन्होंने कहा कि कृषि को लाभकारी बनाने के लिए सरकार तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा दे रही है और किसानों को डिजिटल कृषि की ओर प्रेरित कर रही है.

भारत बनेगा 'फूड बास्केट'

उन्होंने कहा कि भारत आज कई फसलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है और अब हमें वैश्विक 'फूड बास्केट' बनने की दिशा में आगे बढ़ना है. पहले जब अमेरिका से गेहूं आयात करना पड़ता था, वहीं आज भारतीय गेहूं की दुनियाभर में मांग बढ़ गई है, जो किसानों की मेहनत का ही परिणाम है.

उन्होंने कहा कि भारत को अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के बाद अब लक्ष्य यह है कि देश के कृषि उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत किया जाए और भारतीय किसानों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जाए.

खेती भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़

चौहान ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान जब सभी उद्योग ठप हो गए थे, तब केवल कृषि क्षेत्र ही कार्यरत था. उन्होंने कहा कि उस संकट के समय भी किसानों ने अन्न उत्पादन में कोई कमी नहीं आने दी, जिससे पूरे देश को भोजन उपलब्ध हुआ. खेती भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा हैं. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है.

उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, इसलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था को लगातार मजबूत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी सरकार नए कदम उठा रही है और भारत के कृषि उत्पादों को वैश्विक बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जा रहा है.

किसानों को वैज्ञानिक खेती अपनाने की अपील

इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि मंत्री ने किसानों को वैज्ञानिक खेती अपनाने, प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने और नई तकनीकों को अपनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ हर कदम पर खड़ी है और उन्हें हरसंभव सहायता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य कृषि पर निर्भर करता है, और जब तक किसान खुशहाल नहीं होंगे, तब तक देश भी प्रगति नहीं कर सकता.

English Summary: If companies delay payment of insurance claim, then the amount will have to be paid with 12% interest
Published on: 05 March 2025, 11:24 AM IST

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