Potato cultivation: आलू की खेती करने वाले किसानो के लिए जरूरी खबर है. अगर आप भी आलू की खेती करते हैं, तो इस खबर को नजरअंदाज न करें, नहीं तो आपकी फसल को नुकसान पहुंच सकता है. दरअसल, सर्दियों के दौरान कोहरा किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है. विशेष रूप से जब कड़ाके की ठंड पड़ती है. इसलिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम मेरठ (ICAR) ने आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है.
इस एडवाइजरी में किसानों को यह बताया गया है कि वे अपनी फसलों को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं. कुछ ऐसे तरीकों बताए गए हैं, जो आसान है और जिनसे आप अपनी फसलों को सुरक्षित रख पाएंगे. अगर किसान के पास सब्जी की खेती है, तो उसे मेढ़ पर पर्दा या टाटी लगाकर हवा के असर को कम करने पर काम करना चाहिए. ठंडी हवा से फसल को और नुकसान पहुंचता है. इसके अलावा कृषि विभाग की ओर जारी दवाओं की लिस्ट देखकर किसान फसलों पर छिड़काव कर उसे बचा सकते हैं. सर्दियों में गेहूं को फसल को कोई नुकसान नहीं होता. हालांकि, सब्जियों की फसल चौपट हो सकती है. ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है की समय रहते इसका उपाय कर लें.
झुलसा रोग से सावधान
ICAR के एक प्रवक्ता ने बताया कि आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए विशेष सलाह जारी की गई है. इसका कारण है फंगस जो झुलसा रोग या फाइटोथोड़ा इंफेस्टेस के रूप में जाना जाता है. यह रोग आलू में तापमान के बीस से पंद्रह डिग्री सेल्सियस तक रहने पर होता है. यदि रोग का संक्रमण होता है या बारिश हो रही होती है, तो इसका प्रभाव तेजी से फसल को नष्ट कर देता है. आलू की पत्तियां रोग के कारण किनारे से सूख जाती हैं. किसानों को हर दो सप्ताह में मैकोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए, जिसकी मात्रा दो किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के रूप में होनी चाहिए.
आलू की खेती में करें इसका छीड़काव
प्रवक्ता ने बताया कि संक्रमित फसल को बचाने के लिए मैकोजेब 63 प्रतिशत व मेटालैक्सल 8 प्रतिशत या कार्बेन्डाजिम व मैकोनेच संयुक्त उत्पाद का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में 200 से 250 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. इसके अलावा, तापमान 10 डिग्री से नीचे होने पर किसान रिडोमिल 4 प्रतिशत एमआई का प्रयोग करें.
अगात झुलसा रोग अल्टरनेरिया सोलेनाई नामक फफूंद के कारण होता है. जिसके चलते पत्ती के निचले हिस्से पर गोलाकार धब्बे बन जाते हैं, जो रिंग की तरह दिखते हैं. इसके कारण, आंतरिक भाग में एक केंद्रित रिंग बन जाता है. पत्ती पीले रंग की हो जाती है. यह रोग देर से उत्पन्न होता है और रोग के लक्षण प्रकट होने पर किसान 75 प्रतिशत विलुप्तिशील चूर्ण, मैकोजेब 75 प्रतिशत विलुप्तिशील पूर्ण या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत विलुप्तिशील चूर्ण को 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर पर पानी में घोलकर छिड़कवा सकते हैं.