घर में कैसे लगा सकते हैं अपराजिता का पौधा? जानें सरल विधि अक्टूबर में पपीता लगाने के लिए सीडलिंग्स की ऐसे करें तैयारी, जानें पूरी विधि Aaj Ka Mausam: दिल्ली समेत इन राज्यों में गरज के साथ बारिश की संभावना, पढ़ें IMD की लेटेस्ट अपटेड! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक OMG: अब पेट्रोल से नहीं पानी से चलेगा स्कूटर, एक लीटर में तय करेगा 150 किलोमीटर!
Updated on: 3 August, 2024 11:35 AM IST
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र (एनएएससी) परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) का उद्घाटन किया. इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है, “टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए परिवर्तन.” इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, बढ़ती उत्पादन लागत और संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर स्थायी कृषि की बढ़ती आवश्यकता से निपटना है. सम्मेलन में लगभग 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि कृषि अर्थशास्त्रियों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) 65 वर्षों के बाद भारत में हो रहा है. उन्होंने भारत के 120 मिलियन किसानों, 30 मिलियन से अधिक महिला किसानों, 30 मिलियन मछुआरों और 80 मिलियन पशुपालकों की ओर से सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया. पीएम मोदी ने कहा, “आप उस भूमि पर हैं, जहां 500 मिलियन से अधिक पशुधन हैं. मैं आपका कृषि और पशु-प्रेमी देश भारत में स्वागत करता हूं.”

इस दौरान पीएम मोदी ने कृषि और खाद्यान्न के बारे में प्राचीन भारतीय मान्यताओं और अनुभवों की दीर्घायु पर जोर दिया. उन्होंने भारतीय कृषि परंपरा में विज्ञान और तर्क को दी गई प्राथमिकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने खाद्यान्न के औषधीय गुणों के पीछे संपूर्ण विज्ञान के अस्तित्व का उल्लेख किया.

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि हजारों साल पुरानी इस दृष्टि की नींव पर विकसित हुई है, उन्होंने इस समृद्ध विरासत पर आधारित कृषि पर लगभग 2000 साल पुराने ग्रंथ ‘कृषि पाराशर’ का उल्लेख किया. प्रधानमंत्री ने भारत में कृषि अनुसंधान और शिक्षा की एक मजबूत प्रणाली की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, “भारत में कृषि से जुड़ी शिक्षा और अनुसंधान से जुड़ा एक मजबूत इकोसिस्टम बना हुआ है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के ही 100 से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं. भारत में कृषि और उससे संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्यादा कॉलेज हैं. भारत में 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने में मदद करते हैं.”

उन्होंने कहा कि देश में लगभग सौ किलोमीटर की यात्रा करने पर कृषि उपज बदल जाती है. प्रधानमंत्री ने कहा, "चाहे वह भूमि पर खेती हो, हिमालय, रेगिस्तान, जल-विहीन क्षेत्र या तटीय क्षेत्र, यह विविधता वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और भारत को दुनिया में आशा की किरण बनाती है." 65 साल पहले भारत में हुए कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतिम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछली बार जब ICAE सम्मेलन भारत में हुआ था वो भारत की कृषि और खाद्य सुरक्षा को लेकर चुनौतीपूर्ण समय था. भारत को नई-नई आज़ादी मिली थी. आज भारत एक खाद्य अधिशेष वाला देश है. आज भारत दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है, और खाद्यान्न, फल, सब्जियां, कपास, चीनी, चाय और खेती की गई मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. आज भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा और वैश्विक पोषण सुरक्षा के समाधान देने में जुटा है.”

उन्होंने कहा, “एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’ के समग्र दृष्टिकोण के तहत ही टिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणालियों के सामने चुनौतियों का सामना किया जा सकता है.” प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया, “कृषि भारत की आर्थिक नीतियों के केंद्र में है”, उन्होंने उल्लेख किया कि भारत के 90 प्रतिशत छोटे किसान, जिनके पास थोड़ी सी जमीन है, भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं. उन्होंने बताया कि एशिया के कई विकासशील देशों में भी ऐसी ही स्थिति है, जिससे भारत का मॉडल लागू होता है.”

इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की कृषि विकास दर दुनिया में सबसे ज्यादा बनी हुई है. उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की चिंता भी रही है कि वो उत्पादन मानव शरीर के लिए भी और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित उत्पादन हो. भारत अब प्राकृतिक खेती पर बल दे रहा है.”

English Summary: ICAE 2024: Small farmers are the biggest strength of India’s food security: PM Modi
Published on: 03 August 2024, 11:38 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now