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Updated on: 17 April, 2025 11:27 AM IST
कृषि वैज्ञानिकों को मिली नई प्रेरणा, किसानों को नई ताकत– पूसा चना ‘अश्विनी’ (सांकेतिक तस्वीर)

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने एक अनोखी और भावुक पहल करते हुए चने की एक नई उच्च उपज वाली किस्म का नाम ‘पूसा चना 4037 (अश्विनी)’ /Pusa Chana 4037 (Ashwini) रखा है. यह किस्म स्व. डॉ. नुनावथ अश्विनी की स्मृति में नामित की गई है, जो एक होनहार युवा कृषि वैज्ञानिक थीं. उनका जीवन पिछले साल सितंबर में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान दुखद रूप से समाप्त हो गया था.

डॉ. अश्विनी: प्रतिभा, समर्पण और सेवा की मिसाल

  • डॉ. अश्विनी ICAR-ARS 2021 परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 1 पर रहीं.
  • उन्होंने IARI, नई दिल्ली से स्नातक और परास्नातक में स्वर्ण पदक प्राप्त किया था.
  • रायपुर स्थित ICAR-NIBSM में वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत थीं.
  • ग्रामीण विकास के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता और वैज्ञानिक शोध में उनकी दक्षता के लिए उन्हें व्यापक रूप से सराहा गया.

पूसा चना 4037 (अश्विनी): खेती में एक नई उम्मीद

  • यह किस्म उत्तर भारत के चना उत्पादक क्षेत्रों  के लिए विकसित की गई है.
  • इसमें 2673 किग्रा/हेक्टेयर की औसत उपज है, जबकि अधिकतम संभावित उपज 3646 किग्रा/हेक्टेयर तक है.
  • 24.8% प्रोटीन सामग्री इसे पोषण के दृष्टिकोण से और भी समृद्ध बनाती है.
  • यह किस्म मशीन से कटाई के अनुकूल है, जो आधुनिक खेती में उपयोगी सिद्ध होगी.
  • यह फ्यूजेरियम विल्ट के प्रति मजबूत प्रतिरोध और ड्राई रूट रॉट, कॉलर रॉट, स्टंट रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोध दिखाती है.

वैज्ञानिक नवाचार से प्रेरणा तक

‘अश्विनी’ नाम न सिर्फ एक वैज्ञानिक खोज को पहचान देता है, बल्कि एक समर्पित आत्मा की याद और प्रेरणा को भी जीवित रखता है. यह नामकरण उन युवा वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करेगा जो विज्ञान के ज़रिए समाज में बदलाव लाना चाहते हैं. डॉ. अश्विनी के सहकर्मियों ने उन्हें एक ऐसी वैज्ञानिक के रूप में याद किया जो न केवल शोध में उत्कृष्ट थीं, बल्कि किसान समुदाय से गहराई से जुड़ी हुई थीं. उनका जीवन यह संदेश देता है कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं, बल्कि मिट्टी, खेत और किसान से गहराई से जुड़ा होता है.

एक पीढ़ी के लिए प्रेरणा

पूसा चना 4037 (अश्विनी) सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि एक युवा वैज्ञानिक के सपने की जीवित मिसाल है. IARI की यह पहल दर्शाती है कि संस्थान कैसे अपने होनहार पूर्व छात्रों को सम्मानित कर सकते हैं और उनके काम को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा सकते हैं. यह किस्म जब किसानों के खेतों में लहलहाएगी, तो उसमें सिर्फ़ अन्न नहीं होगा – उसमें डॉ. अश्विनी की कहानी, समर्पण और सपना भी शामिल होगा.

English Summary: IARI soulful initiative New variety of chickpea Pusa Chana 4037 Ashwini dedicated to female scientist
Published on: 17 April 2025, 11:32 AM IST

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