सर्दी का मौसम शुरु होते ही किसानों को अपनी फसल की चिंता सताने लगती है. क्योंकि, इस मौसम में अधिकांश फसलें सर्दियों में पड़ने वाले पाले से प्रभावित होती है. सर्दियों में पाला पड़ने (Frost In Winter) से फसलों में आंशिक या पूर्ण रूप से हानि पहुंचती है.
इस पाले और शीत लहर के प्रभाव से फसलों की गुणवत्ता तथा उत्पादन (Crop Quality And Production) में कमी पाई जाती है. ऐसे में शीत लहर और पाले से फसल की सुरक्षा के संबंध में कृषि वैज्ञानिक ने जरूरी सलाह किसानों के लिए जारी की है.
कृषि वैज्ञानिक द्वारा दी गयी सलाह (Agriculture Scientist Advice)
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पाला पडऩे की संभावना होने पर फसलों में हल्की सिंचाई करनी चाहिए.
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फसल को पाले से बचाने के लिए खेत के किनारे धुआं करें. इससे गिरते तापमान में वृद्धि होगी और पाले से होने वाली हानि से भी बचाया जा सकता है.
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पाले का सबसे ज्यादा नुकसान का असर नर्सरी में होता है. तो ऐसे में नर्सरी में पौधों को प्लास्टिक की चादर से ढक देना चाहिए.
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प्लास्टिक की जगह पुआल का भी इस्तेमाल कर नर्सरी को ढक सकते हैं. पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान रखें कि पौधे का थोड़ा भाग खुला रहे ताकि उन्हे सुबह और दोपहर को धूप मिलता रहे.
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फसलों पर जब पाला पडऩे की संभावना ज्यादा दिखाई दे तो ऐसे में फसलों पर गंधक का तेजाब 1 प्रतिशत घोल का छिडक़ाव करना चाहिए. इसको बनाने के लिए 8 लीटर गंधक तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर 01 हेक्टेयर क्षेत्रफल में छिडक़ाव करना चाहिए. ध्यान रखा जाए कि पौधों पर घोल का छिडक़ाव अच्छी तरह से किया जाए. इस छिडक़ाव का असर 02 सप्ताह तक रहता है, यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर एवं पाले की संभावना बनी रहे तो गन्धक के तेजाब को 15-15 दिन के अंतर से छिडक़ाव करना चाहिए.
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सल्फर 80 प्रतिशत घुलनशील पाउडर की 03 किलोग्राम मात्रा 01 एकड़ में छिडक़ाव करने के बाद सिंचाई की जाए अथवा सल्फर 80 प्रतिशत घुलनशील पाउडर को 40 ग्राम/15 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव किया जाए.
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हवा में अधिक नमी के कारण आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है. इसलिए फसल की नियमित रूप से निगरानी करें. लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 को 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.