महिंद्रा ने लॉन्च की नई अत्याधुनिक CEV-V कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट रेंज, जानें मुख्य विशेषताएं और लाभ PAU ने बनाया ड्राइवर-असिस्टेड ट्रैक्टर, अब खेत जोतना होगा और भी आसान, जानें इसकी खासियतें बैंगन की फसल को कीटों से कैसे बचाएं, जानें आसान और असरदार तरीके किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 1 November, 2021 9:04 PM IST
Kesar Farming

उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी में केसर उत्पादन की योजना परवान चढ़ती नजर आ रही है.  इस योजना के तहत घाटी के पांच गांवों के किसानों को केसर के बीज नि:शुल्क उपलब्ध कराए गए. इनमें से अधिकांश बीज अंकुरित हो चुके हैं और उन पर फूल खिल चुके हैं. इसे देख किसानों के चेहरे खिल उठे हैं.

सीमांत जिले की हर्षिल घाटी रसदार सेब और राजमा के उत्पादन के लिए जानी जाती है. केसर की खेती के लिए अनुकूल मौसम और घाटी की मिट्टी को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र ने वर्ष 2018-19 में किसानों को पहली बार केसर के बीज दिए थे। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए.

इसी को देखते हुए इस वर्ष जिला प्रशासन एवं उद्यान विभाग ने जिला योजना 2021-22 से घाटी के सुक्की, झाला, मुखबा, पुराली और जसपुर गांव के लगभग 38 किसानों को केसर के बीज दिए थे. किसानों ने क्यारियों को तैयार कर खेतों में बो दिया. डेढ़ महीने के भीतर ही उन पर फूल खिलने लगे हैं। इससे किसान उत्साहित हैं.

सुक्की गांव के किसान मोहन सिंह राणा ने बताया कि उन्हें 6 किलो बीज मिले थे, जिसे उन्होंने 22 सितंबर को बोया था. एक महीने के भीतर उन पर फूल आने शुरू हो गए हैं. 15 अक्टूबर तक फूल आते रहे. हर्षिल के किसान नागेंद्र सिंह रावत ने भी केसर के बीज बोए थे. उनके खेतों में भी फूल खिल रहे हैं.

ये खबर भी पढ़ें: आप भी बंजर ज़मीन से कमा सकते हैं लाखों का मुनाफा ! जानिए पूरी खबर

किसानों को अच्छी गुणवत्ता का बीज दिया गया. इससे एक से डेढ़ महीने में इस पर फूल आने लगे हैं. अभी उत्पादन कम है। भविष्य में यह किसानों की आजीविका को बढ़ावा देने में सहायक होगा.

गुणवत्ता की जांच करेगा कृषि विज्ञान केंद्र

कृषि विज्ञान केंद्र चिन्यालीसौर हर्षिल घाटी में उत्पादित होने वाले केसर की गुणवत्ता की जांच करेगा. केंद्र के बागबानी डॉ. पंकज नौटियाल ने बताया कि घाटी के तीन गांवों के पांच स्थानों से सैंपल लिए जाएंगे. इसके बाद लैब में केसर में पाए जाने वाले क्रोसिन, क्रोकेटिन और सैफ्रेनल तत्वों के आधार पर इसकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी। इसमें कश्मीर के केसर का नमूना भी रखा जाएगा.

इसके साथ ही इसका तुलनात्मक परीक्षण भी कश्मीर के केसर से किया जाएगा ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके. डीएचओ रजनीश सिंह ने कहा कि कश्मीर के केसर के बीज की कीमत अधिक होने के कारण वह यमुना घाटी के धारी कफनौल स्थित एक नर्सरी से किसानों को बीज उपलब्ध कराएंगे.

English Summary: How did saffron grow in Harshil Valley
Published on: 01 November 2021, 09:11 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now