आज के दौर में हम सब धीरे- धीरे विद्युतीकरण( Electrification) की और बड़ रहे हैं. फिर चाहे वह कार हो या स्कूटर सब electric हो रहा है. और यह पूरा तंत्र बैटरी पर निर्भर करता है बिना बैटरी के इसकी कोई अहमियत नहीं रह जाती है. इसी बैटरी के तंत्र से जुड़ी एक बैटरी है. जिसका नाम है algae बैटरी. आज के इस लेख में बात करेंगे उसी से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में
Algae बैटरी से जुड़े कुछ तथ्य
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) में कंप्यूटर प्रोसेसर से इस बैटरी को जोड़ कर यह नया चमत्कार किया गया है और यह चमत्कार सफल हुआ है इससे कंप्यूटर को जोड़ने के बाद कंप्यूटर लगातर 6 महीनों तक चलता रहा. इस बैटरी का आकार कूलर के डब्बे की तरह है लेकिन यह बैटरी की ही तरह कम करता है. आपको बता दें कि इस बैटरी का खोल AA बैटरी से ज्यादा बड़ा नहीं है. शोधकर्ताओं ने नीले-हरे शैवाल (Algae) को इलेक्ट्रोड (Electrodes) के साथ एक कंटेनर में रखा और सूक्ष्मजीव (Microorganisms ) सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करके बिजली बनाने लगे. इस बैटरी ने कंप्यूटर को चलाने के लिए पर्याप्त बिजली दी और कंप्यूटर 6 महीने तक लगातार चला.
Energy & Environmental science जर्नल के मुताबिक, साइनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) ने कंप्यूटर को 45 की साइकिल में चलने दिया कंप्यूटर पर काम भी हुआ और फिर 15 मिनट स्टैंडबाय मोड पर भी रहा. यह प्रयोग सफल ही नहीं रहा बल्कि लोगों को चौंकाने वाला भी रहा. अगस्त 2021 में प्रयोग खत्म होने के बाद से बैटरी ने बिजली बनाना जारी रखा है.
ये भी पढ़ें Electronic Car: दुनिया की पहली ऐसी कार जो खुद होती है Charge, नहीं होता 1 रूपया भी खर्च
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) के जैव रसायन (Biochemistry) विभाग के डॉ पाओलो बॉम्बेली (Dr Paolo Bombelli) का कहना है कि हमें यह बहुत अच्छा लगा कि सिस्टम ने लंबे समय तक लगातार काम किया. हमें लगा था कि यह कुछ हफ्तों के बाद बंद हो सकता है. बिना किसी रुकावट के छह महीने तक चलने वाले सिस्टम ने कंप्यूटिंग समय के दौरान 0.3 माइक्रोवाट बिजली की खपत हुई और निष्क्रिय समय के दौरान 0.24 की.
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह कैसे काम करता है. लेकिन टीम का मानना है कि फोटोसिंथेसिस (Photosynthesis) के दौरान साइनोबैक्टीरिया (नीला-हरा शैवाल) इलेक्ट्रॉन छोड़ता है. लेकिन प्रकाश की कमी से बिजली पर प्रभाव नहीं पड़ा. बिजली दिन और रात दोनों समय स्थिर रही. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि शैवाल अंधेरे में अपना भोजन प्रोसेस करते हैं और इसलिए बिजली का करेंट बनना जारी रहता है.