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Updated on: 26 November, 2018 5:36 PM IST

कृषि में लागत और रसायनिक उर्वरको (खादों) पर निर्भरता को कम करने के लिए वैज्ञानिकों ने कचरे से उर्वरक बनाने का रास्ता दिखाया है. अब वैज्ञानिकों ने घर में होने वाले अपशिष्ट पदार्थों से खाद बनाने का उपकरण भी तैयार कर लिया है. घर के अपशिष्ट पदार्थों से खाद तैयार करने वाला उपकरण उत्तर प्रदेश के एटा के मुख्यालय से 11 कि०मी० दूर स्थित शीतलपुर ब्लॉक के गांव वाहनपुर निवासी फूल सिंह ने बनाया है. वे पिछले कई सालों से लगातार खरपतवार नाशक और जैविक खाद बनाने की तकनीक विकसित कर रहे थे.

फूल सिंह ने बताया की जब उन्होने घर के चारों तरफ देखा सब्जियों व फलों के छिलके या फिर अन्य अपशिष्ट खाद्य पदार्थ गंदगी को बढ़ावा दे रहे है. इतना ही नहीं उनसे कई प्रकार के रोग भी फैल रहे है. तब उनके दिमाग में विचार आया कि कुछ बैक्टीरिया ऐसे है हो जो खेतों में अपशिष्टों को खाद में बदल सकते है. तो उन्होंने घरेलू अपशिष्ट से खाद बनाने का फैसला किया. इसके बाद एक ऐसा संयंत्र बनाया, जिससे घर के खाद्य अपशिष्ट पदार्थ कुछ ही दिनों में खाद बन जाती है.

फ़ूलसिंह का देशी स्वच्छता संयंत्र प्लास्टिक की एक टंकीनुमा  है. इस टंकी का ऊपरी हिस्सा हुआ खुला होता है, और निचले हिस्से मे एक टोटी लगी होती है. इसी टंकी मे खाद्य अपशिष्ट के साथ ही कृषि विभाग से मिलने वाला डायजेस्टर तथा एजे-2 नामक बैक्टीरिया को डालते है. टंकी में डाले गए अपशिष्ट को बैक्टीरिया 72 घंटे में तरल पदार्थ में तब्दील कर देते है. 1 ली० तरल पदार्थ को 100 लीटर पानी में मिलाने के बाद बने घोल को खेतों में खाद के रूप में छिड़काव किया जाता है.

फूल सिंह का मानना है कि उनका यह प्रयास खेती में रसायनिक उर्वरकों के लागत से बचाना है. उन्होंने कृषि विभाग को भी इस बारे में बताया है और स्वयं भी इसका प्रचार-प्रसार कर रहे है.

प्रभाकर मिश्र, कृषि जागरण

English Summary: Household waste is becoming a boon for farms
Published on: 26 November 2018, 05:37 PM IST

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