कांगड़ा को हम उत्तर- भारत में चाय की राजधानी के रूप में जानते हैं. देश के सबसे विशाल और शानदार चाय के बागानों के लिए अपनी पहचान बनाने वाला यह शहर प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. हिमाचल प्रदेश की इस कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ ने 29 मार्च 2023 यूरोपीय संघ भौगोलिक संकेत बैज से सम्मानित किया है. जीआई टैग पर भारत और यूरोपीय संघ दोनों ही बहुत जोर देते हैं. यह स्थानीय खाद्य पदार्थों के उच्च मूल्य का निर्धारण करते हैं साथ ही समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा और विकास करते हैं.
भारत में यूरोपीय संघ के आधिकारिक संगठन ने "#EUIndiaEkSaath," ट्वीट किया. यह जीआई टैग का लेबल कांगड़ा चाय को यूरोपीय बाजार तक पहुंचाने में बहुत ही मददगार साबित होगा. भारत में कांगड़ा चाय को वर्ष 2005 में जीआई टैग प्राप्त हुआ था.
वर्ष 1999 के बाद से ही हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में चाय की इस फसल में लगातार विकास और सुधार किया गया है. हमने भारत से एक नया भौगोलिक संकेत दर्ज किया है! यूरोपीय संघ-भारत. कांगड़ा चाय पश्चिमी हिमालय में धौलाधार पर्वत श्रृंखला की ढलानों पर 900- समुद्र तल से 1,400 मीटर ऊपर उगाई जाती है. यूरोपीय संघ के कृषि ने ट्वीट किया कि इस चाय में पौष्टिकता, वुडी गंध और एक मीठा स्वाद है. भारतीय चाय बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय पालमपुर, राज्य के सहकारी और कृषि विभाग, और सीएसआईआर, आईएचबीटी पालमपुर, और चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर कांगड़ा चाय के विकास और खेती को बढ़ावा और प्रबंधन का काम करते हैं. कांगड़ा चाय कैमेलिया साइनेंसिस पौधे की पत्तियों, कलियों और नाजुक तनों से बनी चाय की एक किस्म है, जो कांगड़ा घाटी (हिमाचल प्रदेश, भारत) में उगाई जाती है.
जी आई टैग क्यों दिया जाता है?
भौगोलिक संकेत (Geographical Indication Tag) यानि कि जी आई टैग किसी एक उत्पाद या वस्तु को दर्शाता है जो वहां कि भौगोलिक पहचान है. उदाहरण के लिए मिथिला का मखाना, असम की चाय, महाराष्ट्र का अलफांसो आम आदि. इस प्रकार की वस्तु और उत्पाद एक भौगोलिक क्षेत्र की विरासत होती हैं.
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किन उत्पादों को मिलता है जी आई टैग-
कृषि से जुड़े उत्पाद
प्राकृतिक उत्पाद
खाद्य सामाग्री
हस्तशिल्प
कपड़ा