Groundnut Variety: जून में करें मूंगफली की इस किस्म की बुवाई, कम समय में मिलेगी प्रति एकड़ 25 क्विंटल तक उपज खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया Monsoon Update: राजस्थान में 20 जून से मानसून की एंट्री, जानिए दिल्ली-एनसीआर में कब शुरू होगी बरसात किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 31 March, 2023 3:03 PM IST
कांगड़ा चाय को मिला GI टैग

कांगड़ा को हम उत्तर- भारत में चाय की राजधानी के रूप में जानते हैं. देश के सबसे विशाल और शानदार चाय के बागानों के लिए अपनी पहचान बनाने वाला यह शहर प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. हिमाचल प्रदेश की इस कांगड़ा चाय को यूरोपीय संघ ने 29 मार्च 2023 यूरोपीय संघ भौगोलिक संकेत बैज से सम्मानित किया है. जीआई टैग पर भारत और यूरोपीय संघ दोनों ही बहुत जोर देते हैं. यह स्थानीय खाद्य पदार्थों के उच्च मूल्य का निर्धारण करते हैं साथ ही समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा और विकास करते हैं.

भारत में यूरोपीय संघ के आधिकारिक संगठन ने "#EUIndiaEkSaath," ट्वीट किया. यह जीआई टैग का लेबल कांगड़ा चाय को यूरोपीय बाजार तक पहुंचाने में बहुत ही मददगार साबित होगा. भारत में कांगड़ा चाय को वर्ष 2005 में जीआई टैग प्राप्त हुआ था.

वर्ष 1999 के बाद से ही हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में चाय की इस फसल में लगातार विकास और सुधार किया गया है. हमने भारत से एक नया भौगोलिक संकेत दर्ज किया है! यूरोपीय संघ-भारत. कांगड़ा चाय पश्चिमी हिमालय में धौलाधार पर्वत श्रृंखला की ढलानों पर 900- समुद्र तल से 1,400 मीटर ऊपर उगाई जाती है. यूरोपीय संघ के कृषि ने ट्वीट किया कि इस चाय में पौष्टिकता, वुडी गंध और एक मीठा स्वाद है. भारतीय चाय बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय पालमपुर, राज्य के सहकारी और कृषि विभाग, और सीएसआईआर, आईएचबीटी पालमपुर, और चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर कांगड़ा चाय के विकास और खेती को बढ़ावा और प्रबंधन का काम करते हैं. कांगड़ा चाय कैमेलिया साइनेंसिस पौधे की पत्तियों, कलियों और नाजुक तनों से बनी चाय की एक किस्म है, जो कांगड़ा घाटी (हिमाचल प्रदेश, भारत) में उगाई जाती है.

जी आई टैग क्यों दिया जाता है?

भौगोलिक संकेत (Geographical Indication Tag) यानि कि जी आई टैग किसी एक उत्पाद या वस्तु को दर्शाता है जो वहां कि भौगोलिक पहचान है. उदाहरण के लिए मिथिला का मखाना, असम की चाय, महाराष्ट्र का अलफांसो आम आदि. इस प्रकार की वस्तु और उत्पाद एक भौगोलिक क्षेत्र की विरासत होती हैं.  

ये भी पढ़ेंः देश में 8 कृषि क्षेत्र को मिला जीआई टैग, देखें पूरी लिस्ट

किन उत्पादों को मिलता है जी आई टैग-

कृषि से जुड़े उत्पाद

प्राकृतिक उत्पाद

खाद्य सामाग्री

हस्तशिल्प

कपड़ा

English Summary: Himachal Pradesh's Kangra tea gets European GI tag
Published on: 31 March 2023, 03:10 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now