Organic Cow Dung: पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी अपने स्तर पर लगातार काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में हिमाचल सरकार ने एक नई पहल की शुरूआत की है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के पशुपालकों से जैविक गाय के गोबर की खरीद करेगी. सरकार ने इस कार्य को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए एक टेंडर जारी किया है. सरकार का यह टेंडर जिस भी बोलीदाता को प्राप्त होगा. उसे सरकारी ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज सुविधाएं भी प्राप्त होगी.
3 रुपये किलो गोबर की होगी खरीद
हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि राज्य के पशुपालकों की आय में वृद्धि करने के लिए सरकार ने एक नई पहल की शुरूआत की है, जिसके तहत जैविक गाय के गोबर/Organic Cow Dung की खरीद सिर्फ 3 रुपये प्रति किलो के हिसाब से की जाएगी. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में जैविक खेती/Organic Farming को बढ़ावा देने और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए कृषि में हाई-टेक तकनीक की तरफ किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
गाय का गोबर उर्वरक से भरपूर
- जैविक गाय का गोबर प्राकृतिक और पोषक तत्वों से भरपूर उर्वरक होता है. इस गोबर का इस्तेमाल किसान अपने खेत में सरलता से कर सकते हैं. क्योंकि इससे उपयोग से खेत की मिट्टी स्वास्थ्य और पौधे में तेजी से वृद्धि होगी.
- गाय के गोबर में नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटेशियम जैसे मुख्य पोषक तत्व होते हैं, जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक हैं.
- गाय के गोबर का उर्वरक मिट्टी में जैविक पदार्थों को बढ़ाकर उसकी संरचना और जल धारण क्षमता में सुधार करता है.
- जैविक गाय के गोबर में रसायन-मुक्त और प्राकृतिक होने के कारण यह जैविक खेती के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है.
- गाय के गोबर में लाभकारी बैक्टीरिया और फफूंद होते हैं जो मिट्टी के माइक्रोबियल जीवन को प्रोत्साहित करते हैं.
- जैविक गाय के गोबर का उपयोग मिट्टी में हानिकारक कीड़ों को नियंत्रित करने में सहायक होता है, जिससे फसलें स्वस्थ रहती हैं.
- यह सस्ता और आसानी से उपलब्ध होता है, जो किसानों के लिए एक किफायती उर्वरक साबित होता है.
- गोबर का उर्वरक न केवल पौधों के लिए पोषण देता है, बल्कि मिट्टी की समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी सहायक है, जिससे खेती की उत्पादकता में सुधार होता है.
नोट: राज्य सरकार की इस पहल से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए राज्य के किसान और पशुपालक अपने नजदीकी पशु विभाग केंद्र से भी संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा वह अपने आस-पास के कृषि विज्ञान केंद्र से भी संपर्क कर सकते हैं.