नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 26 June, 2019 5:16 PM IST

हिमाचल प्रदेश न सिर्फ अपने प्राकृतिक स्वभाव और एडवेंचर के लिए जाना जाता है बल्कि यह सेब की खेती के लिए भी जाना जाता है. यहाँ सबसे ज्यादा सेब की खेती की जाती है . लेकिन इस बार यहाँ के सेबों को किसी की नजर लग गई है. हिमाचल में  सेब की फसल पर स्कैब रोग के लक्षण  देखें को मिले है, जिससे यहाँ के किसान परेशान है. किसानों ने राज्य के उद्यानिकी विभाग से इसकी शिकायत की थी.  फिलहाल इसकी जांच के लिए राज्य का बागवानी विभाग सक्रिय हो गया है. राज्य के शिमला, कुल्लू और मंडी क्षेत्रों के सेब के बगीचों में इस बीमारी के लक्षण देखे गए हैं  राज्य में हर साल  करीब 4,500 करोड़ रुपये का सेब का कारोबार होता है.

उद्यानिकी विभाग आया हरकत में:

शिकायत के बाद राज्य सरकार ने डा. वाईएस परवार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी और उद्यान विभाग के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीमों को फील्ड में भेज दिया है.  यह टीम सेब किसानों को इसकी रोकथाम के लिए जानकारी देंगे. बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि सेब पर समय रहते फफूंदनाशकों का छिड़काव न होने के कारण स्कैब का हमला हुआ है. उद्यानिकी विभाग इसकी रोकथाम के लिए जितना जल्दी हो सके फफूंदनाशकों का छिड़काव करने की सिफारिश की कर रहा है.

एक बगीचे से दूसरे बगीचे में फैलती है बीमारी:

बागवानी विशेषज्ञ का मानना है कि स्कैब का नियंत्रण प्रथम अवस्था में ही किया जाना चाहिए. समय पर अगर इसका नियंत्रण न किया गया, तो यह रोग धीरे-धीरे पूरे बागीचे में फैल जाता हैं. इसके बाद आसपास के बागीचों में भी यह रोग फैलता है. इससे न तो फल का विकास हो पाता है और न पत्तियों का विकास होता है. इसका प्रभाव अगले साल की फसल पर भी पड़ता है. 

क्या होता है स्कैब रोग :

सेब में लगने वाला स्कैब रोग एक फफूंदनाशक रोग है, यह एक तरीके की फंगस होती है.यह रोग कभी बारिश और कभी धूप की वजह से यह रोग फसल में लगता है. यदि जल्दी से इस पार काबू नहीं पाया जाता है तो यह एक बगीचे से दूसरे बगीचे में फैलता है.  यह फल और पत्तियों पर बड़े अकार के धब्बे के रूप में लगता है. 

कैसे करे बचाव : 

इस रोग से बचाव के लिए समय पर फफूंदनाशक का प्रयोग किया जाना चाहिए. तभी इस रोग पर काबू पाया जा सकता है .  इसके अलावा सलाह दी जाती है  कि तौलियों में घास को न उगने दें और हवा व प्रकाश के आदान प्रदान की उचित व्यवस्था करें.

English Summary: Himachal Apple farmers facing scab problem on a large scale
Published on: 26 June 2019, 05:20 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now