कल तक सरसों की खुशबू से आत्ममुग्ध होने वाले किसान भाई आज इसी सरसों की खुशबू को सूंघकर चिंतित हो रहे हैं. वे चिंतित हो रहें हैं, इसकी हालिया कीमत को जानकर. वे चिंतित हो रहे सरसों से होने वाले आर्थिक नुकसान को लेकर. वे चिंतित हो रहे अपने आगामी भविष्य को लेकर.
वहीं, चिंतित हो रहे किसान भाइयों की उम्मीद भरी निगाहें अगर किसी पर टिकी हैं, तो वो सरकार है. हालांकि, यह मसला भी बिल्कुल आइने की तरह साफ है कि अगर सरकार ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया तो आगामी दिनों में किसान भाइयों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. खैर, यह तो रहे विवेचनाओं पर आधारित कुछ अनुउत्तरित प्रश्न, लेकिन आइए आगे इस लेख में हम आपको सरसों की ताजा की कीमत के बारे में बताएं चलते हैं, जिसे जानकर हमारे किसान भाई बेहाल हो रहे हैं.
सरसों की ताजा कीमत
वहीं, अगर सरसों की ताजा की कीमत की बात करें, तो विदेशी बाजार में आयात शुल्क घटाने के बाद इनकी कीमतों में लगातार तेजी का सिलसिला जारी है. जहां एक तरफ शिकागो एक्सचेंज में 3 प्रतिशत की तेजी रही तो वहीं मलेशिया एक्सचेंज में 1.3 प्रतिशत की तेजी रही है.
देश में आयात शुल्क में कमी करने के बाजवूद भी इनकी कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी है और यह कब तक जारी रहेगा. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. चलिए, आगे इस लेख में भारतीय बाजारों में सरसों की ताजा की कीमत के बारे में जानते हैं.
भारतीय बाजारों में सरसों का भाव
भारतीय बाजारों में अगर सरसों के दाम की बात करें तो सालोनी, आगारा और कोटा में सरसों का भाव 8500 रूपए से बढ़कर 86,00 रूपए प्रति क्लिंटल तक पहुंच गया है. सरसों की कीमत में जिस तरह से तेजी का सिलसिला जारी है, उससे लगातार किसान भाइयों की बेहाली अपने चरम पर पहुंचने पर आमादा हो चुकी है. आइए, अब आगे इस लेख में इसके उत्पादन के बारे में जानते हैं कि आखिर वर्तमान में इसके उत्पादन की क्या स्थिति है?
सरसों का उत्पादन
बजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कुछ बातों का ध्यान रख लिया जाए, तो सरसों का उत्पादन दोगुना हो सकता है. सहकारी संस्थान हेफेड और नेफेड का कहना है कि छोटे किसानों की मदद के लिए अभी से ही उन्हें सरसों के बीज स्टॉक करके रख लेने चाहिए, ताकि उन्हें बीच में इसकी कमी न हो, जिससे वे समय पर तमाम गतिविधियों कर उचित मुनाफा अर्जित कर सकें.