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Sugarcane Farming

कोरोना की त्रासदी के बीच उच्चतम न्यायालय का एक निर्णय गन्ना किसानों के लिए यादगार बन गया है. विगत दिनों में उच्चतम न्यायालय का एक फैसला देशभर के गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है.

इस निर्णय में न्यायालय की पांच जजों की बेंच ने साल2004 के फैसले को सही मानते हुए कहा किराज्य सरकारों द्वारा गन्ने कान्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जा सकता है.

35 मिलियन किसानों को मिलेगा लाभ (35 million farmers will get benefit)

न्यायालय के इस निर्णय का लाभ 35 मिलियन किसानों तथा उनके परिवारों को मिलेगा जो अपनी आजीविका के लिए गन्ने की खेती पर निर्भर करते हैं. आंकड़ों के अनुसार भारत में गन्ने की खेती वर्ष 2017-18 में कुल 47.32लाख हेक्टेयर भूमि पर की गई थी.देश में गन्ने का मूल्य निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर, आर्थिक मामलों की केन्द्रीय कमेटी द्वारा किया जाता है. इसे उचित एवं लाभकारी मूल्य, एफ.आर.पीकहा जाता है.

वर्तमान में यह 275 रुपये /क्विंटल है.आपको बता दें कि वे राज्य जहां गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर की जाती हैं, वहां की सरकारें  केन्द्र द्वारा निर्धारित एफ.आर.पीको न मानकर स्वयं ही स्टेट एडवाइज्ड प्राइस निर्धारित करती हैं. एस.ए.पी की नीति1970के दशक के आरंभिक वर्षों में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों में लायी गयी थी. विदित हो कि किसानों तथा चीनी मिल के बीच विवाद का मुख्य कारण एफ.आर.पीतथा एस.ए.पी का मूल्य ही होता है.

न्यायालय के निर्णय से जगी उम्मीदें (Court's decision raised hopes)

इस विवाद को सुलझाने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर विभिन्न कमेटियां गठित की गयी हैं.उदाहरण के लिए रंगराजन कमेटी, नंदा कुमार कमेटी. किंतु अभी तक मिलों और किसानों के बीच का ये विवाद सुलझा नही है. ऐसे में आशा एवं विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से किसान लाभान्वित होंगे तथा उन्हें उनका उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा.

English Summary: High court decision in favor of sugar cane farmers
Published on: 03 May 2020, 05:51 PM IST

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