हरियाणा सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि यूपी, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में टीओपी स्कीम को हरियाणा में भी लागू करने का आग्रह किया है ताकि सब्जी उगाने वाले किसानों को लाभ मिल सके. कोरोना महामारी की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था इन दिनों पूरी तरह से चरमराई हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए इन दिनों किसानों के लिए अलग-अलग लाभकारी योजना बनाई जा रही है. सभी राज्य सरकारें अपने राज्य के किसानों को सशक्त बनाने के लिए कृषि की नई-नई योजनाएं बना रही हैं.
इसी कड़ी में हरियाणा के सरकार ने किसानों को ज्यादा लाभ देने के लिए फूड-प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने की योजना तैयार कर रही है. सरकार की तरफ से फूड प्रोसेसिंग के लिए राज्य ने 10 हजार करोड़ का प्रावधान रखा है. वहीं इसमें केंद्र सरकार द्वारा 15 प्रतिशत वहन की जाती है. हरियाणा के उप मख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार किसानों के बेहतरी के लिए काम कर रही है. समीक्षा बैठक करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों के हित में काम कर रही है और धान की खेती पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के काम की देख-रेख करें. उन्होंने कहा कि सभी 22 जिलों के फल एवं सब्जियों की उत्पादकता के अनुसार कलस्टर मैप तैयार कर 15 दिनों के अंदर-अंदर केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय को भेजा जाए. वहीं सरकार ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोज़गार देने पर भी कार्य कर रही है और इसके लिए एचएसआईडीसी के तहत औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है.
कई बड़ी कंपनियों के साथ चर्चा
चौटाला ने कहा कि पिछले चार दिनों में प्रदेश सरकार ने डेल, कोका कोला जैसी 60 बड़ी कंपनीयों के साथ हरियाणा में निवेश के लिए प्रेरित किया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में लागू टीओपी स्कीम को केंद्र सरकार से आग्रह करके हरियाणा में भी लागू करने का आग्रह किया गया है ताकि प्रदेश में सब्जी उगाने वाले किसोनों को योजना का लाभ मिल सके.
योजना से किसानों को होगा लाभ
चौटाला ने कहा टीओपी योजना के तहत ऐसे किसान जो आलू, प्याज और टमाटर उगाते हैं उनको केंद्र सरकार के द्वारा उत्पाद स्टोरेज के लिए सहायता प्रदान की जाती है. हरियाणा में टमाटर की खेती ज्यादातर दादरी और भिवानी और प्याज की खेती पलवल और मेवात में ज्यादा होता है. आलू की खेती की अगर बात करें तो यह कैथल, यमुनानगर, करनाल, अंबाला, कुरुक्षेत्र में होती है इसलिए योजना के लागू होने से किसानों को काफी लाभ मिलेगा.
ये खबर भी पढ़े: ग्रामीण युवा सिर्फ 10 हज़ार रुपये की लागत में शुरू करें मुनाफे के ये 3 बिज़नेस, होगी बंपर कमाई !