आदिकाल से ही भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है, लेकिन अफसोस यहां शुरू से ही कृषकों का हाल बदहाल रहा है. ऐसा नहीं है कि हमारी हुकूमत ने अन्नदाताओं की इस दयनीय दशा को बदलने की कोशिश न की हो. कालांतर में कई सरकारों ने कृषकों की स्थिति में सुधार करने हेतु प्रयास किए, मगर इसका सही ढंग से क्रियान्वयन न होने कि वजह से आजादी के सात दशक के बाद भी किसानों का हाल बदहाल है.
लेकिन सरकार की हर वो कोशिश जारी है, जिससे किसानों की स्थिति में सुधार लाया जा सके. एक ऐसी ही कोशिश हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने की है. फिलहाल तो यह कोशिश देश के अन्नदाताओं के लिए राहत का सबब साबित हो रही है. खैर, कौन सी, और कैसी है, मनोहर सरकार की ये कोशिश? बताएंगे आपको सब कुछ, लेकिन इससे पहले हम आपको बताते चले कि आखिर मौजूदा वक्त में देश के अन्नदाता हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के बारे में क्या सोचते हैं.
आखिर कौन सी है, वो योजना
यहां हम आपको बताते चले कि हरियाणा सरकार की इस योजना का नाम 'मेरा पानी मेरी विरासत है'. इस योजना का मुख्य ध्येय भूजल का हो रहे दोहन पर विराम लगाना है. सरकार अपनी इस योजना के माध्यम से प्रदेश सरकार किसानों को धान की जगह गेहूं समेत अन्य फसलों को उत्पादित करने के लिए प्रतोसाहित कर रही है. प्रदेश के कई किसान सरकार की इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. विदित हो कि धान की खेती के दौरान भूजल का स्तर काफी मात्रा में कम होता है, लिहाजा सरकार ने भूजल के स्तर को बनाए रखने के लिए इस योजना की शुरूआत की है.
बड़े फायदेमंद साबित हो रही है ये योजना
हरियाणा सरकार द्वारा शुरू की गई ये योजना किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रही है. इस योजना के जरिए हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने किसानों को 1,26,927 हेक्टेयर में धान की जगह दूसरी फसल उगाने के लिए राजी किया है. ऐसा करके राज्य सरकार भूजल को दोहन होने से रोकना चाहती है. इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए राज्य सरकार ने एक पोर्टल भी शुरू किया है, जिस पर किसानों को अपना पंजीकरण कराना होगा. सत्यापन की प्रक्रिया अभी-भी जारी है. इसके लिए हरियाणा सरकार किसानों को 7 हजार रूपए की प्रतोसाहन राशि भी दे रही है. बता दें कि जिन किसानों ने सरकार द्वारा शुरू किए गए इस पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाया है, उनके जमीन का सत्यापण किया जा रहा है. अब तक प्रदेश सरकार 90 हजार एकड़ से भी अधिक जमीन को सत्यापित कर चुकी है. सरकार की तरफ से किसानों को बतौर प्रोत्साहन 9 करोड़ रूपए की राशि दी जा चुकी है.