हरियाणा सरकार राज्य के किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार एक के बाद एक योजना पेश कर रही है. पॉण्ड स्कीम के बाद अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य में मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए गुरुवार को हरियाणा मधुमक्खी पालन नीति-2021 और कार्य योजना 2021-2030 पेश की है, जिसके तहत 2030 तक, खट्टर ने अधिकारियों को शहद उत्पादन में दस गुना वृद्धि करने का निर्देश दिया और साथ हीं उन्होंने अधिकारियों को किसानों की सफल मधुमक्खी पालन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने और परियोजना में शामिल होने के लिए 5,000 अतिरिक्त किसानों की भर्ती करने का भी निर्देश दिया, जिसका राज्य समर्थन करेगा.
उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन से किसानों को सूरजमुखी और सरसों जैसी वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि शहद और उससे बने सामानों को बेचकर किसानों की आय बढ़ाई जा सके. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे छोटे किसानों पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि उन्हें मधुमक्खी पालन के माध्यम से उन्हें उनके राजस्व में वृद्धि करने में सहायता मिल सके साथ ही किसी तरह की जानकारी की कमी न हो इसका भी पूरा पूरा ध्यान रखा जाए.
अक्सर जानकारी के आभाव में किसानों से गलतियां होती है जिसके वजह से दुबारा वो कोई भी नया काम करने से कतराते हैं. कृषि एवं किसान कल्याण की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा ने कहा कि मधुमक्खी पालन के उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करने से किसानों के राजस्व में काफी वृद्धि होगी. महानिदेशक (बागवानी) अर्जुन सिंह सैनी के अनुसार, 4,800 मीट्रिक टन शहद उत्पादन के साथ हरियाणा देश में शहद उत्पादन में आठवें स्थान पर है और 2019-20 में, देश ने लगभग 1 लाख मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया, उनका दावा है कि 600 करोड़ रुपये के शहद का 60 प्रतिशत निर्यात किया जाता है. इसके अलावा, गुरुवार को ही हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने विभिन्न क्षेत्रों में भारी बारिश से हुई फसल के नुकसान की जांच के लिए राजस्व सर्वेक्षण का भी आदेश दिया. साथ ही युवाओं को मशरूम की खेती, दूध प्रसंस्करण और मत्स्य पालन जैसे व्यवसायों से जोड़ने का प्रयास किया गया.
मौके पर मौजूद हरियाणा के कृषि मंत्री जे पी दलाल ने कहा कि बागवानी फसलें राज्य की 8-10% भूमि को कवर करती हैं. बुधवार को राज्य कैबिनेट द्वारा अधिकृत 'मुख्यमंत्री बागवानी बीमा' योजना में कुल 21 सब्जियां, फल और मसाला फसलें शामिल होंगी, जिसके साथ बागवानी फसलों की खेती करने वाले किसानों को विभिन्न परिस्थितियों के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान का अनुभव हो सकता है. फसल की बीमारियों के अप्रत्याशित प्रकोप, कीट-कीटों के प्रकोप, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखा और पाला सहित अन्य चीजों के कारण फसल के नुकसान के लिए किसानों को मुआवजा दिया जाएगा.