आमतौर पर किसानों के हित में सरकार कोई न कोई योजनाएं लेकर आती है. इन सभी योजनाओं का उद्देश्य किसानों के जीवन व कृषि गतिविधियों में बेहतरी लाना होता है. एक ऐसी ही योजना किसानों के हित के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई थी, जिसका नाम ‘पीएम कुसुम योजना’ है. इस योजना के तहत किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु खेतों में सोलर पंप स्थापित करने हेतु आर्थिक सुविधा प्रदान की जाती है.
काफी संख्या में हमारे किसान भाई इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, लेकिन इस बीच सरकार की तरफ से एक आंकड़ा जारी किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि सबसे ज्यादा हरियाणा के किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया है.
सरकारी आंकड़े के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2020-21 में हरियाणा ने 15 हजार पंपों के मुकाबले 14 हजार 418 पंपों की स्थापना की गई है. देश में सबसे ज्यादा पंपों की स्थापना करने के मामले में हरियाणा अव्वल राज्यों की फेहरिस्त में शुमार हो गया है.
सरकार की यह योजना किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में काफी उपयोगी साबित होने जा रही है, क्योंकि आमतौर पर हमारे किसानों को सिंचाई संबंधि समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार की यह योजना किसानों के लिए काफी उपयोगी साबित हो रही है. वहीं, हरियाणा के बाद अब अन्य राज्यों के किसान भी इस योजना के तहत किसानों को लाभान्वित करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं.
इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि सरकार की यह योजना किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा मे काफी उपयोगी साबित होगी. इसी उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए सरकार की इस योजना से किसान भाइयों की कृषि लागत में कमी आएगी.
वहीं, इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग एवं हरेडा के महानिदेशक डॉ. हनीफ कुरैशी केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 2019 में 20 लाख स्टैंडअलोन सोलर पंप स्थापित करने के लक्ष्य के साथ पीएमकेयूएसयूएम योजना शुरू की थी, जिसके तहत हरियाणा सरकार ने 520 करोड़ रूपए की लागत से 15 हजार सोलर पंप स्थापित किए थे.
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत है कि इस योजना के तहत किसानों सिंचाई संबंधि सुविधा के लिए सोलर पंप स्थापित करने हेतु राज्य सरकार की तरफ से 45 फीसद व केंद्र सरकार की तरफ से 25 फीसद आर्थिक सुविधा प्रदान की जाती है. इस तरह से कुल 75 फीसद आर्थिक सुविधा सरकार की तरफ से प्रदान की जाती है.
ऐसी स्थिति में किसानों को महज अपनी तरफ से 25 फीसद ही खर्च करना होता है. अर्थ के दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह योजना किसानों के लिए काफी लाभकारी है. वहीं, अब ऐसे में आगे चलकर यह योजना और क्या कुछ किसानों के हित में कमाल दिखा पाती है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. तब तक के लिए आप कृषि क्षेत्र से जुड़ी हर बड़ी खबर से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए...कृषि जागरण. कॉम