बारिश ने जहां एक तरफ मैदानी इलाकों में लोगों को गर्मी से राहत दिलाई है तो वहीं दूसरी तरफ किसानों के लिए मुसीबत बनकर सामने आई है. बता दें कि देश के अधिकतर किसानों की रबी की फसलें लगभग कटाई के लिए तैयार ही थी, अब ऐसे में मौसम ने गरज कर किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. किसानों को पहले बारिश से नुकसान तो हुआ ही लेकिन बाद में ओलो ने फसल को और अधिक नुकसान पहुंचाया है.
मध्य प्रदेश में पड़े ओले
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में ओलावृष्टि और खंडवा में बारिश ने किसानों की फसल को तबाह कर दिया है, जिसके चलते राज्य के 20 जिलों के 520 गांव प्रभावित हुए हैं. मध्य प्रदेश में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, साथ ही रबी सीजन में दलहनी फसलों का रकबा भी काफी अधिक है. मगर बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों को भारी नुकसान हो गया है. आलम यह है कि मध्य प्रदेश की स्थिति कश्मीर से कम नहीं लग रही है.
उत्तर प्रदेश में 45 फीसदी फसल नुकसान
उत्तर प्रदेश का एक भी जिला ऐसा नहीं बचा है जो बेमौसम बारिश की चपेट में ना आया हो. किसानों की मानें तो गेहूं, सरसों अरहर, चना की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. राहत आयुक्त कार्यालय के अनुसार बारिश और ओलावृष्टि के कारण वाराणसी में 33 फीसदी से अधिक फसल नुकसान हुआ है, तो वहीं सोनभद्र में 33 फीसदी, मीर्जापुर में 13 फीसदी, प्रयागराज में 20, हमीरपुर और महोबा में 33 फीसदी से अधिक नुकसान हुआ है.
पंजाब-हरियाणा में फसल नुकसान
पंजाब में भी किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है. साथ ही हरियाणा में कैथल के गुहला चीका व चरखी दादरी में सबसे ज्यादा ओलावृष्टि हुई और कुछ इलाकों में तेज हवा से फसल बिछ गई है, जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. हालांकि करनाल स्थित गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान का कहना है कि गेहूं की जो फसल बारिश और ओलावृष्टि के कारण झुकी है वह बाद में उठ भी जाती है.
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मौसम विभाग ने दी सलाह
मौसम विभाग ने मौसम की स्थिति को देखते हुए किसानों को फसल कटाई का काम स्थगित करने की सलाह दी है. साथ ही विभाग का कहना है कि किसानों को कटी हुई फसलों का भंडारण कर लेना चाहिए.