भारत सरकार ने किसानों को राहत देने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार के अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने 12 प्रमुख जैव कीटनाशकों पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया है. इस कदम से किसानों को अब कम कीमत पर सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प मिलेंगे.
सरकार का मानना है कि इससे रासायनिक कीटनाशकों पर किसानों की निर्भरता घटेगी और उन्हें आधुनिक खेती की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा. छोटे और सीमांत किसानों को इस फैसले का सीधा फायदा होगा, क्योंकि उनकी खेती की लागत में कमी आएगी और उत्पादन बढ़ेगा.
किन-किन बायोपेस्टीसाइड्स पर मिलेगा लाभ?
सरकार द्वारा जारी सूची में कई महत्वपूर्ण माइक्रोबियल और फंगल उत्पाद शामिल हैं. इनमें बैसिलस थुरिनजिनेसिस var. israelensis, बैसिलस थुरिनजिनेसिस var. kurstaki, बैसिलस थुरिनजिनेसिस var. galleriae, बैसिलस स्फेरिकस जैसे माइक्रोबियल उत्पाद शामिल हैं.
इसके अलावा, ट्राइकोडर्मा विरडी, ट्राइकोडर्मा हार्ज़िनम और स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस भी सूची में जोड़े गए हैं. कवक आधारित ब्यूवेरीया बैसियाना, और वायरस आधारित NPV of Helicoverpa armigera तथा NPV of Spodoptera litura भी इसमें शामिल हैं. साथ ही नीम से बने उत्पाद और सिट्रोनेला (Cymbopogon) आधारित कीटनाशक भी किसानों को अब सस्ते दाम पर मिलेंगे.
क्यों है यह फैसला खास?
ये सभी जैव कीटनाशक इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (IPM) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनका उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता पर असर नहीं पड़ता और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता. विशेषज्ञों का कहना है कि जैविक कीटनाशकों से कीट नियंत्रण के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.
किसानों को मिलेगा क्या फायदा?
जीएसटी घटने से जैव कीटनाशक किसानों को कम दाम में उपलब्ध होंगे. खासकर छोटे और सीमांत किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा क्योंकि इससे उनकी उत्पादन लागत कम होगी. पहले जिन उत्पादों को खरीदना महंगा था, अब वही उत्पाद कम दाम पर उपलब्ध होंगे.
यह कदम खेती को टिकाऊ, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है.