केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि केंद्र सरकार फसल विविधीकरण सुनिश्चित करने तथा दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर तुअर, उड़द और मसूर की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है. आज कृषि भवन, दिल्ली में विभिन्न राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता करते हुए चौहान ने कहा कि किसानों के पंजीकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) तथा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) के माध्यम से ई-समृद्धि पोर्टल शुरू किया गया है और केंद्र सरकार इस पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से एमएसपी पर इन दालों की खरीद करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक किसानों को इस पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि वे सुनिश्चित खरीद की केंद्र की सुविधा का लाभ उठा सकें.
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि इन 3 फसलों के उत्पादन में 2027 तक देश की आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य है. चौहान ने 2015-16 से दाल उत्पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि के लिए राज्यों के प्रयासों की सराहना की, साथ ही प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने और किसानों को दालों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया. उन्होंने इस बात की सराहना की कि देश ने मूंग व चना में आत्मनिर्भरता हासिल की है और पिछले 10 वर्षों के दौरान आयात पर निर्भरता 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दी है. उन्होंने राज्यों से केंद्र के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया, ताकि भारत न केवल दलहन सहित खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनें बल्कि दुनिया का फूड बास्केट भी बने.
उन्होंने मौजूदा खरीफ सीजन से शुरू की जा रही आदर्श दलहन ग्राम योजना के बारे में जानकारी दी. उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे चावल की फसल कटने के बाद दालों के लिए उपलब्ध परती भूमि का उपयोग करें. चौहान ने राज्य सरकारों से तुअर की अंतर-फसल को भी जोरदार तरीके से अपनाने पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकारों को एक-दूसरे के साथ सर्वोत्तम प्रथाएं साझा करना चाहिए, यहां विजिट करना चाहिए. सांसदों, विधायकों सहित जनप्रतिनिधियों को केवीके का लाभ किसानों तक पहुंचाना चाहिए.
चौहान ने नकदी फसलों की ओर फसल विविधीकरण की आवश्यकता व मृदा उर्वरता बहाल करने की आवश्यकता के बारे में बात की. उन्होंने उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को समय पर तथा गुणवत्तापूर्ण इनपुट जैसे कि अच्छी गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता पर जोर दिया तथा इस संबंध में केंद्र की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया. अच्छे बीजों की उपलब्धता के लिए केंद्र ने 150 दलहन बीज हब खोले हैं तथा कम उत्पादकता वाले जिलों में आईसीएआर द्वारा क्लस्टर फ्रंट लाइन प्रदर्शन (सीएफएलडी) दिए जा रहे हैं. उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करने के लिए जलवायु अनुकूल किस्मों तथा कम अवधि वाली किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता का उल्लेख किया. उन्होंने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे राज्य बीज निगमों को मजबूत करके अपने बीज वितरण प्रणालियों को मजबूत करें.
देश में दालों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई, ताकि आयात कम करते हुए उत्पादन बढ़ाया जा सके. बैठक में म.प्र, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, बिहार, तेलंगाना जैसे प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों के कृषि मंत्री शामिल हुए. राज्य सरकारों ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के माध्यम से केंद्र द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की व पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया. उन्होंने उल्लेख किया कि चूंकि मानसून के सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है, इसलिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य हासिल किए जाने की बहुत उम्मीद है. राज्यों ने उच्च उपज देने वाली किस्मों के बीजों का वितरण बढ़ाने और दालों के तहत क्षेत्र को तत्काल आधार पर बढ़ाने की आवश्यकता का उल्लेख किया. केंद्रीय मंत्री चौहान ने राज्यों के कृषि मंत्रियों को राज्य के कृषि परिदृश्य की विस्तृत बैठक आयोजित करने और किसी भी मुद्दे को सामूहिक रूप से हल करने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया.
बैठक में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर एवं भागीरथ चौधरी, कृषि सचिव मनोज अहूजा तथा कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक भी मौजूद थे. कृषि मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव शुभा ठाकुर ने प्रेजेन्टेशन दिया.