भारत सरकार के द्वारा देश में बाजरे की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार भी अपने राज्यों में इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं. बता दें कि गुजरात सरकार बाजरे की खेती (Cultivation of Millet) को बढ़ावा देने के लिए एक ऐसी योजना विकसित कर रही है, जो किसानों को बीज, उर्वरक और फसल सुरक्षा रसायनों जैसे आवश्यक संसाधनों को खरीदने में सहायता प्रदान करेंगी.
इस बात की जानकारी खुद राज्य के कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने हाल ही में हुए राजकोट में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Conference) के दौरान बताई थी. इसी के साथ सरकार ने सीधे किसानों से बाजरा की खरीद शुरू कर दी है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस समय राज्य में रबी सीजन (Rabi Season) के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बाजरा खरीदने के उद्देश्य से सरकारी कार्यों में रुचि की कमी दिखाई है. इस मुद्दे को हल करने के लिए, 2023-24 बजट ने किसानों से बाजरा खरीदने के लिए राज्य सरकार ने 30 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
बाजरे की खेती को बढ़ावा देने की पहल भारत के अनुरोध पर 2023 को 'इंटरनेशनल ईयर ऑफ बाजरा' (IYM) के रूप में संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुरूप है. बाजरा को कम पानी की आवश्यकता, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलेपन और शुष्क क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त के लिए जाना जाता है.
जैसा कि आप जानते हैं कि भारत बाजरा में दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है. बता दें कि राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात कुल बाजरा उत्पादन में 83 प्रतिशत से अधिक का योगदान करते हैं. साल 2020 में, भारत ने 124.88 मिलियन टन बाजरा और 34.75 मिलियन टन ज्वार का उत्पादन किया, जो वैश्विक उत्पादन का क्रमशः 40.51 प्रतिशत और 7.58 प्रतिशत है.
गुजरात बाजरा और ज्वार (Bajra and Jowar) का एक महत्वपूर्ण उत्पादक है. 2022 के खरीफ सीजन के गुजरात में किसानों ने 1.85 लाख हेक्टेयर में बाजरे की बुआई की और 2023 की गर्मियों के मौसम में खेती का क्षेत्र 2.79 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप 1.14 मिलियन टन का उत्पादन हुआ.
बताया जा रहा है कि आईवाईएम (IYM) को मनाने के लिए, राज्य सरकार ने मार्च में पहली बार बाजरा, संकर और मालदंडी किस्मों के ज्वार, महीन बाजरा (रागी), और मक्का एमएसपी पर किसानों से खरीद कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से गरीबों को वितरित करने का फैसला किया.
हाइब्रिड ज्वार की कीमत (Hybrid Jowar Price)
सरकार ने शुरुआत में बाजरा के लिए 2,350 रुपये, हाइब्रिड ज्वार के लिए 2,970 रुपये, मालदंडी ज्वार के लिए 2,990 रुपये, रागी के लिए 3,578 रुपये और मक्का के लिए 1,962 रुपये के केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी पर इन अनाजों की खरीद करने की योजना बनाई थी. हालांकि, बाजार मूल्य एमएसपी के बराबर या उससे अधिक होने के कारण किसानों की उदासीन प्रतिक्रिया के कारण सरकार ने 9 मई,2023 को बाजरा, ज्वार और रागी के लिए उनके संबंधित एमएसपी से ऊपर 300 रुपये प्रति क्विंटल तक देने की पेशकश की.
मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 2022-23 के रबी सीजन के दौरान 45,000 मीट्रिक टन बाजरा, 4,000 मीट्रिक टन ज्वार, 1,000 मीट्रिक टन रागी और 10,000 मीट्रिक टन मक्का की खरीद (Purchase of Maize) का लक्ष्य सरकार ने रखा है. वर्तमान में बाजरा, ज्वार और रागी का प्रभावी खरीद मूल्य क्रमशः 2,650 रुपये, 3,270 रुपये और 3,878 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. सरकार ने 1 अप्रैल,2023 को खरीद केंद्र खोले थे, जो 15 जून, 2023 तक चालू रहेंगे.
बाजरा में आए दिन गिरावट
हालांकि, राज्य में 26 मई तक, केवल 7,432 किसानों ने बाजरा बेचने के लिए, 178 ने ज्वार के लिए, 526 ने मक्का के लिए, और सिर्फ दो किसानों ने रागी के लिए पंजीकरण कराया था. पंजीकृत किसानों में से केवल 44 ने दो महीने तक चले ऑपरेशन में 168 क्विंटल बाजरा सरकारी खरीद केंद्रों पर पहुंचाया है.
वहीं आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि गुजरात में मोती बाजरा की खेती (Pearl Millet Cultivation) का क्षेत्र 1995-96 में 10.86 लाख हेक्टेयर से घटकर 2005-06 में 9.15 लाख हेक्टेयर हो गया, और 2015-16 तक 3.9 लाख हेक्टेयर तक गिर गया. 2022-23 में, संचयी बाजरा रकबा 4.63 लाख हेक्टेयर था. हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि उत्पादन औसतन 10 लाख टन पर स्थिर बना हुआ है. मंत्री पटेल ने इस गिरावट को दूर करने के लिए दो तरफा रणनीति की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि बाजरा की खेती का विस्तार करने के लिए किसानों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराकर उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिए कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले. बाजरा के लाभों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए, गुजरात सरकार कार्यक्रम आयोजित करती रही है.
बाजरा की खेती के लिए इनपुट खरीदने में किसानों की सहायता करने के लिए प्रस्तावित योजना के कार्यान्वयन के साथ, गुजरात सरकार का लक्ष्य राज्य में बाजरा की खेती को फिर से जीवंत करना और 'अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष' (International Millet Year) पहल की सफलता में योगदान देना है.