खरीफ सीजन शुरू हो चुका है. इन दिनों खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की नर्सरी किसान करना शुरू कर दिये हैं, ताकि फसल की बुवाई सही समय पर की जा सकें. वहीं सरकार ने भी इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में सरकार ने धान की खेती करने वाले किसानों की सहायता हेतु एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है.
गौरतलब है कि बासमती धान की खेती करने वाले किसानों को 3 प्रमुख रोगों और कीटों का सामना करना पड़ता है. जिसकी वजह से किसान इसमें भारी मात्रा में कीटनाशक (Pesticide) डालते हैं, लेकिन ज्यादा दवाई से तैयार चावल निर्यात में फेल हो जाता है. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर 8630641798 जारी किया है. किसान धान की फसल से संबन्धित किसी भी समस्या के लिए उस पर फोटो भेजकर आसानी से निदान पा सकते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हेल्पलाइन नंबर (Helpline Number) पर आने वाली किसानों की सभी समस्याओं का समाधान एपिडा के अधीन आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन के विशेषज्ञ करेंगे. इससे उपज और क्वालिटी में संतुलन बैठेग, साथ ही बासमती चावल (Basmati Rice) यूरोपीय यूनियन और अमेरिका जैसे देशों के मानक पर आसानी से खरा उतर सकेगा.
बासमती धान में लगने वाली प्रमुख बीमारियां निम्नलिखित हैं (Following are the major diseases in Basmati rice)
ब्लॉस्ट: इस रोग में पत्तियों में आंख जैसे धब्बे बनते हैं. वो बढ़ता है और पत्तियां जल जाती हैं. जब बाली बाती है तो वहां स्पॉट पड़ता है और बाली टूट जाती है.
शीथ ब्लाइट: यह बीमारी (Sheath blight) होने पर तने में चॉकलेट रंग के धब्बे बनते हैं. बढ़कर पौधे को गला देते हैं.
बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट: इसे बीएलबी (BLB) और झुलसा रोग भी कहते हैं. इसमें पत्ती ऊपर से नीचे की ओर सूखती चली जाती है.
झंडा रोग: इसमें (Bakanae) पौधे जरूरत से ज्यादा ऊंचे हो जाते हैं. फिर पूरा पौधा सूख जाता है.
इसके अलावा बासमती धान में जो कीट लगते हैं उनमें तनाछेदक, भूरा फुदका और पत्ती लपेटक प्रमुख हैं.