चुनावी मौसम और चुनावी रणनीति के बीच उलझी पार्टियां अब जनता के बीच पहुँच चुकी हैं. चुनाव से पहले हर पार्टी अपने एजेंडा को लेकर काफी परेशान रहती है की आखिर जनता को लुभाने के लिए क्या-क्या एजेंडा बनाया जाए.
हकीकत तो यह है की बाद में उस एजेंडा पर कोई चर्चा भी करना ज़रूरी नहीं समझता. बार-बार सरकार, विपक्ष और अन्य पार्टियों के इस रवैये से अब जनता भी अवगत हो चुकी है.
आपको याद होगा किस तरह बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार में भारतीय जनता पार्टी ने वैक्सीन को लेकर अपना वोट बैंक सुरक्षित कर लिया था. ठीक उसी तरह इस बार भी कुछ वही नज़ारा सामने आता दिख रहा है. शुक्रवार को देश के प्रधानमंत्री ने कृषि कानून को वापस लेने का ऐलान करते हुए किसान के सामने खुद को झुकता हुआ बताया, लेकिन क्या सच में सरकार किसानों के सामने झुक गयी या फिर ये भी आने वाले चुनाव का हिस्सा है.
जिस बात पर किसान पिछले एक साल से सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर अपने हक़ के लिए आवाज़ उठा रहा था. जिसमे कई किसानों की जान भी गयी. तब सरकार को ये क्यों नहीं दिखा, तब सरकार कहाँ और क्या कर रही थी? अचानक चुनाव के बीच सरकार का यह कदम सरकार को एक बार फिर कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
वहीं आपको बता दें, पीएम मोदी के कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद आज केंद्रीय मंत्रिमंडल बैठक में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए पहला कदम उठाने जा रहा है.खबरों के मुताबिक, "केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार 24 नवंबर को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मंजूरी दे सकता है. कानूनों को वापस लेने के विधेयकों को आगामी संसद सत्र में पेश किया जाएगा. "भारत सरकार ने 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में उठाए जाने वाले विधायी कार्य में 'द फार्म लॉ रिपील बिल, 2021' को शामिल किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले शुक्रवार को घोषणा की थी कि केंद्र इस महीने के आखिर में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करेगा और इसके लिए आवश्यक विधेयक लेकर आएगा. प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की थी कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए एक नए ढांचे पर काम करने के लिए एक समिति का गठन करेगी.
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केंद्र द्वारा 2020 में कानून पारित किए जाने के बाद से किसान सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर अपना डेरा जमाए हुए हैं. उनके विरोध प्रदर्शन को लगभग एक साल हो गया है. कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 किसानों के उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन के किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते, कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तुओं (संशोधन) को निरस्त करने का प्रयास करता है.) अधिनियम, 2020, कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 को पेश करने और पारित करने के लिए सूची में शामिल किया गया है. यह सरकार के एजेंडे वाले 26 नए विधेयकों में शामिल है.वहीं सरकार के इस फैसले से कुछ किसान ख़ुश हैं, तो कई किसान ऐसे भी हैं जो अभी भी सरकार के इस फैसले में सरकार की ग़लत मनसा बता रहे हैं.
उनका कहना है जब तक सरकार संसद में इस बिल को वापस नहीं ले लेती, तब तक सरकार के बयान पर हमे भरोसा नहीं है. चुनाव से पहले सरकार के उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के किसानों को अपनी तरफ करने के लिए ये कदम उठाया है. सरकार को सिर्फ अपनी सत्ता प्यारी है. किसान तब भी मर रहे थे, आगे भी मरेंगे.